Thursday, January 2, 2020

राजधानी… फिर शुरू होगी बंदरों की नसबंदी

शिमला में पिछले साल 1365 उत्पातियों की हुई स्टरलाइजेशन, 20 हजार को आपरेट करने का है टारगेट

शिमला-राजधानी शिमला में बंदरों की नसबंदी इस बार फिर से शुरू होगी। हालांकि नसबंदी की प्रक्रिया वर्ष 2006 से शुरू हुई थी, बावजूद इसके बंदरों की संख्या में खास कमी नहीं आई। इसे देखते हुए वन विभाग की वाइल्ड लाइफ विंग ने इस साल भी नसबंदी का काम शुरू करने का निर्णय लिया है। पूरे प्रदेश में इस साल 20 हजार बंदरों की नसबंदी करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से शिमला शहर में कम से कम पांच हजार बंदरों की नसबंदी होनी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले साल शिमला में 1365 बंदरों की नसबंदी हुई। इसके साथ-साथ नगर निगम के दायरे में बंदरों को मारने की अनुमति भी दी गई थी, लेकिन एक भी बंदर मारा नहीं गया।  इसे देखते हुए वाइल्ड लाइफ विंग ने पूरे प्रदेश सहित शिमला में बंदरों की नसबंदी करने का निर्णय लिया है। शिमला की सीमा शोघी से लेकर जाखू तक बंदरों का इतना आतंक हो चुका है कि यहां आने वाले सैलानियों को भय के साये में घूमना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि यूपी और राजस्थान की वाइल्ड लाइफ टीम यह पता करने शिमला आई थी कि हिमाचल के बंदरों से कैसे निजात मिल सकती है। प्रदेश वाइल्ड लाइफ विंग ने अब मॉर्डन तरीके से बंदरों से निपटने का तरीका भी अपनाया, लेकिन निजात नहीं मिल पाई। इसके लिए यूपी और राजस्थान से दो टीमें यहां पहुंच कर सर्वे कर चली गईं।  प्राप्त जानकारी के मुताबिक 2015 में हुई गणना के मुताबिक प्रदेश में 2 लाख 7 हजार बंदर हैं, जिसमें से 1 लाख 70 हजार बंदरों की नसबंदी हो चुकी है। बताया गया कि पिछले साल 20 हजार बंदरों की नसबंदी हुई। इस बार भी वन विभाग ने 20 हजार बंदरों की नसबंदी का टारगेट फिक्स किया है। उल्लेखनीय है कि 2016 में नगर निगम शिमला के दायरे में खूंखार बंदर मारने की अनुमति केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दी थी। यहां तक कि दो बार एक्सटेंशन भी मिली, लेकिन एक भी बंदर नहीं मारा गया। उसके बाद पिछले साल जुलाई महीने में फिर से बंदरों को मारने की अनुमति मिली। वन विभाग ने राजधानी शिमला में लोगों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नौ मंकी वॉचर्स तैनात किए थे।

मंकी वॉचर भी नहीं मार पाए शिमला के बंदर

वन विभाग ने राजधानी शिमला में लोगों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नौ मंकी वॉचर्स तैनात किए थे। हैरानी इस बात की है कि इन मंकी वॉचर्स ने एक भी बंदर नहीं मारा। लोगों की सुरक्षा के लिए ही नौ मंकी वॉचर्स को इको बटालियन कुफरी से शिमला में तैनाती दे दी गई। वाइल्ड लाइफ विंग हैड क्वार्टर से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अभी तक एक भी बंदर मारने की रिपोर्ट नहीं है।

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