वन विभाग सहित शिमला का प्रशासन भी भूल रहा यह पर्यटन स्थल, चैडविक फॉल का झरना भी दूषित पानी से खो रहा अपना वजूद
शिमला-शिमला के समरहिल से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चैडविक फॉल झरना आज अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहा है। प्रकृति की गोद से करीब 100 मीटर की उंचाई से गिरते पवित्र झरने की कल कल करती धारा मानव भूल के कारण अब अपने वजूद का आखिरी सफर तय कर रही है। विश्व पर्यटन पटल पर अपनी अलग पहचान बना चुके चैडविक फॉल के खूबसूरत नजारे को देखने के लिए विदेशी पर्यटक अकसर यहां का रुख करते हैं। ‘दिव्य हिमाचल’ ने चैडविक फॉल के इतिहास को जानने की कोशिश के साथ-साथ चैडविक फॉल की उखड़ती सांसों के जिम्मेदार कारणों को जानने का प्रयास किया। घने जंगल में करीब 40 वर्ष पूर्व शुरू हुए इस झरने के कत्ल की साजिशें आज झरने के सिकुड़ते दायरे के रूप में एक प्रमाण की तरह बेनकाब हो गई हैं। झरने के तालाब और इसके आसपास फैली गंदगी से लहूलुहान हो चुके चैडविक फॉल की घायल धाराएं आज अपने कातिल का नाम पूछ रही हैं। कभी पीने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला झरने का यह पानी आज पूरी तरह दूषित हो चुका है। गंदगी और सीवरेज के खंजरों से घायल हुआ चैडविक फॉल आज अपने अस्तित्व की आखिरी सांसें गिन रहा है। मशहूर चैडविक फॉल के उत्थान के लिए किए गए वन विभाग के प्रयास भी नाकाफी ही साबित हो रहे हैं, न केवल जल धाराएं बल्कि झरने के आसपास फैली गंदगी भी प्रकृति के साथ साथ झरने की सुंदरता पर ग्रहण है। स्थानीय जनता के अनुसार सांगटी सीवरेज लाइन से हो रही लीकेज ने कभी पवित्र माने जाने वाली इस जलधारा को पूरी तरह से दूषित कर डाला है। झरने के वजूद को बचाने के मकसद से प्रशासन ने दौरा तो किया, लेकिन असर के रूप में कुछ भी सामने नहीं आया। गौर हो कि शिमला शहर से थोड़ी दूरी पर स्थित इस स्थान पर न केवल पर्यटक ही बल्कि बाहरी राज्यों के शिक्षण संस्थानों से छात्र भी रिसर्च व एजुकेशन ट्रिप पर आते हैं।
झुंड में आकर नौजवान करते हैं नशा
बता दें कि चैडविक फॉल में कूड़ा कर्कट भी इतना फैला है कि यहां पर अब स्थानीय लोगों का चलना भी मुश्किल हो जाता है। स्थानीय सूत्रों की मानें तो इस जगह पर नशे भी किए जाते हैं। झुंड में आकर युवा वर्ग नशीले पदार्थों का सेवन यहां आकर करते हैं।
पर्यटन स्थलों को सुधारने की आवश्यकता
गौर हो कि शिमला में कई पर्यटन स्थल ऐसे हैं, जो सालों से प्रशासन की अनदेखी की वजह से अपना अस्तित्व खो रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि अंग्रेजों के समय की देन पर्यटन स्थलों के विकास को लेकर प्रशासन व सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिएं।
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