चार के आंकड़े ने खास बना दी यात्रा; चार कंधों पर निकले आराध्य, चार बजे-चार लोगों ने उठाई पालकी
कुल्लू – भले ही चार के आंकड़े को अपशगुन माना जाता है। जब देवी-देवताओं से आशीर्वाद के रूप में मानस चावल या सरसों को मांगते हैं और उसमें चार दाने आएं तो वह ठीक नहीं माना जाता। तीन, पांच और सात शुभ माने जाते हैं, लेकिन दशहरा उत्सव के देव कार्यक्रम में इसके कोई मायने नहीं। यहां पर आशीर्वाद के रूप में दाने तो नहीं दिए गए, लेकिन जलेब यात्रा में चार-चार का मेल दिखा, जो काफी आकर्षक था। सबसे बड़े देव समागमन के पांचवें दिन निकली भगवान नरसिंह की जलेब यात्रा अनोखी नहीं, बल्कि अद्भुत भी थी। भगवान नरसिंह की पालकी और देवता के देवरथों को उठाने वाले लोगों का क्या जबरदस्त मेल था। देव रथ उठाने वाले भी चार और नरसिंह की पालकी को उठाने वाले भी चार-चार लोग शामिल थे। जलेब यात्रा भी चौथी थी और समय भी चार बजे का था। बता दें कि एक देव रथों को उठाने के लिए चार लोग थे और भगवान नरसिंह की पालकी में भी चार लोग उठाने के लिए शामिल थे। पांचवां आंकड़ा यह रहा कि मंगलवार को पांचवां अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव था और भगवान नरसिंह की जलेब यात्रा में शामिल पांच देवता विराजमान थे। जलेब में बाह्या सिराज के शेषनाग देवता चोतरू, खुडीजल लगौटी, ब्यास ऋषि कुंईंर, टकरासी नाग और कोटबुझारी विराजमान रहे। यह देवी-देवता भगवान नरसिंह की जलेब यात्रा में शामिल होने के लिए इंतजार में थे। कारकूनों के मुताबिक जहां जलेब यात्रा से सुरक्षा घेरा डाला गया, वहीं देवी-देवताओं ने एक साथ शक्तियां अर्जित कीं। उत्सव में कुल 266 देवी-देवता विराजमान हैं। इनमें से मात्र दस से 12 ऐसे देवी-देवता विराजमान हैं, जिनके रथों को कंधे पर उठाने के लिए चार लोग लगते हैं।
तीन हजार महिलाओं ने डाली नाटी
उत्सव के पांचवें दिन रथ मैदान कुल्लू में नारी गरीमा थीम पर महानाटी का आयोजन किया गया। नाटी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ कुल्लू की लगभग तीन हजार महिलाओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने किया।
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Courtsey: Divya Himachal
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