शिमला— प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में मरीजों की सहूलियत के लिए लगाई गई क्योस्क मशीन भी जवाब देने लगी है। 24 घंटे मरीजों की सहूलियत के लिए लगाई गई यह मशीन कभी भी हांफ जाती है। शनिवार को भी क्योस्क की एक मशीन के खराब होने से मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, वहीं एक मशीन पिछले कई दिनों से बंद पड़ी है जिसे ठीक करवाने के लिए आईजीएमसी प्रशासन की ओर से जहमत नहीं उठाई गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि लाखों रुपए खर्च कर लाई गई ये मशीनें क्या सिर्फ शोपिस के लिए लाई गई हैं। अस्पताल में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये दोनों क्योस्क मशीनें गुरुवार को बंद रहती हैं। वहीं जब इन मशीनों को लगाया गया था तो अस्पताल प्रशासन की ओर से दावा किया गया था कि 24 घंटे इन मशीनों को सुचारू रखा जाएगा ताकि मरीज जब भी आएं अपनी पर्ची खुद ऑनलाइन बनाएं। मौजूदा समय में देखा जाए तो हकीकत ये है कि यह मशीनें अस्पताल के काउंटर पर लगी तो हैं लेकिन उसमें केवल एक ही मशीन में मरीज पर्ची बना पा रहे हैं।
संडे को भी सुचारू हो मशीन
भले ही कहा जाता हो कि गुरुवार को अस्पताल में ज्यादा मरीज नहीं आते, लेकिन फिर भी संडे को भी काफी संख्या में मरीज पहुंचते है। ऐसे में दोनों मशीनें बंद होने से मरीज परेशान होते हैं, मरीजों का कहना है कि संडे को भी ऑनलाइन पर्ची बनाने की दोनों क्योस्क मशीनें सुचारू होनी चाहिए। दीगर रहे कि संडे को काउंटर पर पर्ची बनाने वाले कर्मी भी बहुत कम होते है।
नहीं कम हुआ काउंटर कर्मियों का बोझ
अस्पताल प्रशासन की ओर से मरीजों व काउंटर कर्मियों की सहूलियत के लिए ये मशीनें लगाई गई थी, लेकिन इन मशीनों के लगने के बाद भी न तो मरीजों को राहत मिली और न ही काउंटर कर्मियों का बोझ दूर हुआ। आज भी रोजाना अस्पताल के काउंटर के बाहर मरीजों की लंबी लाइन लगती है।
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