चार महीने में 56 हादसों ने ली 40 की जान

newsनाहन — जिला सिरमौर की खस्ताहाल सड़कें मानव खून की प्यासी बनती जा रही हैं। आलम यह है कि जिला सिरमौर में बदहाल सड़कों के चलते आए दिन सड़क दुर्घटनाएं घट रही हैं। यदि वर्ष 2014 की बात करें तो जिला में जनवरी से आज तक 56 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें करीब 40 लोग बेमौत मारे गए हैं, जबकि वर्ष 2013 में जिला में करीब 250 सड़क दुर्घटनाएं घटी हैं, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। जानकारी के मुताबिक जिला सिरमौर की सड़कों के इतने खस्ताहाल हैं कि जिला की भाग्यरेखाएं कही जाने वाली सड़कें अब मानव खून की प्यासी हो गई हैं। सोमवार को मिल्ला में हुए सड़क दुर्घटना जिसमें 18 लोग बेमौत मारे गए हैं का मुख्य कारण भी खस्ताहाल सड़कें बताई जा रही हैं। जिला के लोगों का कहना है कि जिला सिरमौर के राजनेताओं ने कभी भी जिला की सड़कों को तरजीह नहीं दी है। नतीजतन नेताओं व विभाग की लापरवाही का खामियाजा जिला के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग व जिला प्रशासन द्वारा क्षेत्र की सड़कों पर न ही पैरापिट लगाए हैं और न ही कोई दिशासूचक, जिससे अंदाजा लगाया जा सके कि यह मोड़ दुर्घटना संभावित क्षेत्र में आता है। गौर हो कि जिला सिरमौर में करीब 100 से अधिक ब्लाइंड स्पॉट हैं, जिसमें से भले ही विभाग द्वारा 58 ब्लाइंड स्पॉट घोषित किए हैं। मजेदार बात तो यह है कि इन ब्लाइंड स्पॉट को न तो चौड़ा किया गया है और न ही वहां पर संकेत चिन्ह लगाए गए हैं। लोगों का कहना है कि जिला सिरमौर के शिलाई व संगड़ाह निर्वाचन क्षेत्र की सड़कें सबसे अधिक बदहाल हैं। नतीजतन आए दिन सड़क दुर्घटनाएं घट रही हैं। जानकार बताते हैं कि सड़कों की बदहाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि पांवटा से शिलाई 68 किलोमीटर की दूरी को तय करने में वाहन चालकों को करीब पांच घंटे लग जाते हैं।






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