कुल्लू — बिजली कंपनियों की मनमानी से पर्यावरण को पहुंच रहे नुकसान का मुद्दा भी चुनावी फिजा में गूंज उठा है। कुल्लू के लगघाटी क्षेत्र में स्वीकृत साइट की बजाय एक निजी कंपनी ने वन भूमि पर ही हाइडल प्रोजेक्ट का पावर हाउस और पेनस्ट्रोक का निर्माण कर डाला। यह सब वन महकमे के अधिकारियों की नाक के नीचे हुआ है, बावजूद इसके विभाग की निष्क्रियता सवाल खड़े कर रही है। इतना ही नहीं खलाड़ा नाला क्षेत्र में सरवरी नदी पर बने पांच मेगावाट के इस प्रोजेक्ट की नियमों को ताक पर रखते हुए सबलेटिंग भी कर दी गई। इस प्रोजेक्ट को कमीशन हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, जबकि अब पर्यावरण मित्र संगठन इसके विरोध में लामबंद होने लगे हैं। हिमालयन एन्वायरनमेंट प्रोटेक्शन सोसायटी के अध्यक्ष अभिषेक राय कहते हैं कि प्रोजेक्टों की मनमानी से ग्लेशियरों के घर हिमालय का पर्यावरण संतुलन बुरी तरह से गड़बड़ा गया है, इस मामले को न्यायालय में भी चुनौती दी जाएगी। हाइडल प्रोजेक्टों के हब के रूप में पहचान बना चुकी कुल्लू घाटी में पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ाने से बिजली कंपनियां बाज नहीं आ रही हैं। लगघाटी के खलाड़ा नाला क्षेत्र में कुछ समय पहले बनकर तैयार हुए इस पांच मेगावाट के हाइडल प्रोजेक्ट के पावर हाउस और पेनस्ट्रोक का निर्माण स्वीकृत साइट की बजाय वन भूमि पर कर दिया गया। वन महकमे के अमले के साथ आपसी समझ बिठाते हुए ही निजी कंपनी ने यह कारनामा किया है। प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य काफी समय तक अधर में लटका रहा। बाद में कंपनी ने इसकी आगे सबलेटिंग कर दी, जबकि अब चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि प्रोजेक्ट का अधिकतर हिस्सा स्वीकृत साइट पर नहीं बना है। प्रोजेक्ट के लिए सर्वे करने वाली निजी कंपनी के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्वीकृत और सर्वे वाली जगह पर प्रोजेक्ट न बनने से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। उधर, ब्यास और इसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अभियान छेड़ने वाले एनजीओ हिमालयन एन्वायरनमेंट प्रोटेक्शन सोसायटी के अध्यक्ष अभिषेक राय कहते हैं कि संगठन के ध्यान में यह मामला आया है, अब वे लोग चुप नहीं बैठने वाले हैं। उधर, कुल्लू के डीएफओ बीएल नेगी ने कहा कि वह किन्नौर में हैं, वापस लौटते ही मामले की पड़ताल करेंगे। यदि नियमों से बाहर जाकर कंपनी ने प्रोजेक्ट का निर्माण किया है तो कड़ी कार्रवाई होगी।
from Divya Himachal
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