धर्मशाला — आपराधिक घटनास्थलों पर सही तरीके से साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस जांच अधिकारियों को क्षेत्रीय फोरेंसिक लैब धर्मशाला में दो सप्ताह की ट्रेनिंग प्रदान की गई। लैब में पुलिस जांच अधिकारियों के लिए तीन से 15 मार्च तक आठवें प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इससे पहले भी लैब में सात प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर पुलिस अधिकारियों को क्राइम सीन पर सबूत इकट्ठा करने की ट्रेनिंग दी गई। फोरेंसिक लैब द्वारा अब तक करीब 200 पुलिस जांच अधिकारियों को इस तरह की ट्रेनिंग प्रदान की गई है। लैब विशेषज्ञों द्वारा पुलिस के कांगड़ा, चंबा तथा ऊना के जांच अधिकारियों को ट्रेनिंग प्रदान की गई। ट्रेनिंग में बलात्कार, हत्या, डूबने से होने वाली मौत, जालसाजी, साइबर क्राइम, अंगुलियों के निशान, एनडीपीएस, जहरीला पदार्थ खिलाने जैसे अपराधों की जांच करने के गुर सिखाए गए। इसके अलावा प्रदेश की आरएफएसएल धर्मशाला में डायटम (डूबने से होने वाली मौत) के टेस्ट भी शुरू किए गए हैं। इससे पहले इस टेस्ट के लिए फोरेंसिक लैब को इन मामलों की जांच के लिए दूसरे राज्यों की लैबों पर निर्भर रहना पड़ता था। प्रशिक्षण शिविर के समापन पर निदेशक राज्य फोरेंसिक लैब जुन्गा डा. अरुण शर्मा ने कहा कि कई बार घटना स्थल पर पहुंचे पुलिस जवानों द्वारा अनजाने में महत्त्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट हो जाते हैं। ऐसे में पुलिस अधिकारियों को ट्रेनिंग प्रदान कर घटनास्थल पर साक्ष्य जुटाने के टिप्स दिए जाते हैं। सहायक निदेशक डा. एसके पाल ने बताया कि अपराध से जुड़े विभिन्न पहलुआें की जांच के लिए नॉर्थ रेंज के पुलिस जांच अधिकारियों को दो सप्ताह का प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिसका शनिवार को समापन हो गया।
from Divya Himachal
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