सीमा कश्यप, शिमला
मेहमानवाजी तो दूर हिमाचल की राजधानी में पर्यटकों को दो मीठे बोल भी नसीब नहीं हो पा रहे है। ऋषि, मुनि द्वारा कहे शब्द अतिथि देवो भव: सब छूमंतर हो चुके हैं। इसका असर देवभूमि में भी दिखने लगा है। यही वजह है जो शिमला में भी अतिथि के रूप में पहुंचे पर्यटकों का सत्कार की जगह तिरस्कार हो रहा है। पर्यटकों को सिर्फ कमाई का जरिया समझने वाले लोग सारी हदें लांघने लगे हैं। शनिवार को भी तत्तापानी जा रही निजी बस में पर्यटकों के साथ हुई बदसलूकी ने एक बार फिर शिमला में पहुंचे दूसरे
source: Jagran
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