मिलावटखोरों पर कसा शिकंजा


हमीरपुर — मिलावट खोरों पर शिकंजा कसने के लिए जो फूड सेफ्टी एक्ट 2006 लागू किया गया है, उस एक्ट में अब एक और कड़ी जुड़ गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा किए गए औचक निरीक्षण के उपरांत जो सैंपल खाद्य वस्तुआें के लिए जाएंगे, यदि वे सैंपल फेल हुए तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही उक्त व्यापारी का चालान करेंगे। फूड सेफ्टी एक्ट 2006 के तहत इस चालान की राशि एक लाख रुपए निर्धारित कर दी गई है। मामला न्यायालय में विचाराधीन नहीं किया जाएगा। भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट आने पर तुरंत कार्रवाई अधिकारियों द्वारा की जाएगी। गर्मियों के इस मौसम में बढ़ रहे तापमान व मिलावट भरी वस्तुआें के चलते उत्पन्न हो रही बीमारियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया है। फूड सेफ्टी एक्ट 2006 करीब एक वर्ष पहले लागू किया गया था। एक्ट के तहत खाद्य वस्तुआें की जांच तो निरंतर चली, लेकिन जांच के उपरांत जो भी सैंपल की रिपोर्ट सामने आई उस रिपोर्ट को न्यायालय में चालान के लिए पेश किया जाता था। यहां पर लंबे समय तक मामला विचाराधीन रहने के चलते ऐसे व्यापारियों के हौसले काफी बुलंद हो गए हैं। इन्हीं बुलंद हौसलों पर काबू पाने व उपभोक्ताओं को गुणवत्ता भरी खाद्य वस्तुएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से अब इस एक्ट में यह नई चीज जोड़ी गई है, जिसके तहत चालान की शक्तियां स्वास्थ्य अधिकारियों को दी गई हैं। अधिकारी कभी भी ऐसे व्यापारियों के एक लाख रुपए तक के चालान काट सकेंगी। इस नए प्रावधान के चलते अब कोई भी मामला न्यायालय में पेश नहीं किया जाएगा। रिपोर्ट आते ही स्वास्थ्य महकमे का डंडा उस मिलावटखोर पर चलेगा। जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. केआर कटवाल ने खबर की पुष्टि की है।







source: DivyaHimachal

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