शिवरात्रि पर्व पर विशेष : रावण ने बैजनाथ में दी थी दस सिरों की आहुतियां भास्कर न्यूज. धर्मशाला। कांगड़ा घाटी का बैजनाथ क्षेत्र शिवभूमि के नाम से विख्यात है। किवदंतियों के अनुसार राम-रावण युद्ध के दौरान रावण ने भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत पर घोर तपस्या की थी और भगवान शंकर से लंका चलने का वरदान मांगा, जिससे युद्ध में विजय हासिल की जा सके। रावण की तपस्या से प्रसन्न भगवान शंकर ने रावण के साथ लंका एक पिंडी के रूप में चलने का वचन दिया और साथ ही शर्त रखी कि इस पिंडी को कहीं जमीन पर न रखें, बल्कि सीधा लंका पहुंचाएं। जैसे ही रावण इस आलौकिक पिंडी को लेकर लंका की ओर रवाना हुआ तो उसे बैजनाथ ((प्राचीन नाम कीरग्राम)) नगर में लघुशंका लगी और उसने वहां खड़े एक व्यक्ति को पिंडी सौंप दी। लघुशंका से निवृत्त होकर रावण जब वापिस आया तो व्यक्ति उस स्थान पर नहीं था तथा पिंडी जमीन में स्थापित हो चुकी थी। रावण ने पिंडी को उठाने के भरसक प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। जिसके चलते रावण ने इस स्थल पर कठिन तपस्या की और अपने दस सिरों की आहुतियां हवन कुंड में डाली।...
via Bhaskar http://www.bhaskar.com/article/HIM-OTH-c-77-62684-NOR.html
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