Thursday, January 5, 2017

सीए स्टोर रद्द करना बागबानों के हितों से खिलवाड़

शिमला— मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर ने केंद्र की एनडीए के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश के तीन सीए स्टोर परियोजनाओं को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बावजूद रद्द करने पर कड़ी आप्पति जताई है। उन्होंने कहा है कि यह निर्णय प्रदेश के बागबानों व किसानों से धोखा है और उनके हितों पर कुठाराघात है। उन्होंने कहा कि पूर्व यूपीए सरकार के कार्यकाल में फरवरी, 2014 को एपीडा निदेशक मंडल द्वारा 45 करोड़ 40 लाख रुपए की लागत के सात सीए स्टोर व अन्य परियोजनाओं को तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिनमें खड़ा पत्थर, पतलीकूल, चुराह, बागी व अणु में सीए स्टोर का निर्माण होना था। इसके अलावा रोहड़ू में एप्पल ग्रेडिंग पैकिंग लाइन व जरोल टिक्कर में पोस्ट हारवेस्ट प्लांट का निर्माण शामिल था। इनमें से सेब बहुल क्षेत्र जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र में ही खड़ा पत्थर, बागी व अणु में तीन सीए स्टोरों का निर्माण प्रस्तावित था। मुख्य संसदीय सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जहां शेष चार परियेाजनाओं को स्वीकृति प्रदान करनी चाहिए थी, लेकिन केंद्र ने इसके विपरीत पहले से समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित परियोजनाओं को रद्द कर दिया है,जो कदापि प्रदेश के बागबानों के हित में नहीं है, क्योंकि प्रदेश सरकार द्वारा खड़ा पत्थर, चुराह, पतलीकुल परियोजनाओं के लिए अपनी शेयर राशि भी जमा करवा दी गई थी। ठाकुर ने परियोजनाओं के रद्द किए जाने के लिए पूर्व बागबानी मंत्री नरेंद्र बरागटा को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश से एपिडा में बरागटा एकमात्र निदेशक हैं और उनका हस्तक्षेप इसमें रहता है। उन्होंने आरोप लगाया कि बरागटा ने प्रदेश के बागबानों व किसानों के लिए अन्य परियोजनाएं स्वीकृत करवाने के विपरीत मौजूदा स्वीकृत परियोजनाओं को भी निरस्त करवा दिया तथा राज्य के हितों को एपीडा व केंद्र सरकार के समक्ष सही प्रकार से रखने में असफल रहे तथा मूकदर्शक बने रहे। उन्होंने कहा कि बरागटा ने अपने बागबानी मंत्री के कार्यकाल के दौरान प्रदेश की बागबानी क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण व बहुमूल्य संपत्तियों को कौढ़ी के भाव बेच दिया, जिनमें गुम्मा स्थित गत्ता फैक्टरी को भी उन्होंने कबाड़ के भाव बेच दिया था। इसके अलावा प्रदेश के बाहर एचपीएमसी की अनेक संपत्तियों को भी पौंने भाव पर बेचा गया। रोहित ठाकुर ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा बागबानी मंत्री से निरस्त हुए परियोजनाओं का मामला केंद्र सरकार से पुनः उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार इस पर विचार नहीं करती है, तो इस मामले में कानूनी पहलुओं को भी तलाशा जाए।


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source: DivyaHimachal

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