रविंद्र पंवर, सोलन
नम आंखों व रूंधे गले से भर्राई आवाज में रुक-रुककर अपनी बात कहती कमला ठाकुर अपने भाव भी सही ढंग से व्यक्त नहीं कर पा रही थी और बस इतना ही कह सकी कि 'गरीब को मत सता, गरीब रो देगा। 'उसका कोई कसूर नहीं था, बस मेरे बेटे ने तो अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाई। वह मरा नहीं, बल्कि पुलिस जो न कर सकी, कैलाश ने वह सामाजिक कार्य कर दिखाया और चक्रव्यूह में घुसकर अभिमन्यु की तरह वीरगति को प्राप्त हुआ।' यह चित्कार उस मां के दुखी हृदय की थी, जिसने 19 मई की रात को एक निजी शिक्षण संस्थान
source: Jagran
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