रामपुर बुशहर-कोरोना इस बार सब कुछ निगल रहा है। अंतरराष्ट्रीय लवी मेला सूक्ष्म होने से करोड़ों के व्यापार पर पूर्णविराम लग गया है। साथ ही हज़ारों लोगों की रोजी रोटी पर भी विराम लग गया है। 11 नवंबर से आयोजित होने वाले इस मेले को महज औपचारिकता के तौर मनाया जा रहा है। यह पहली बार है जब यह मेला अपनी रौनक खो देगा। बताते चलें कि लवी मेला पिछले करीब 400 वर्षों से एक व्यापारिक मेले के रूप में रामपुर बुशहर में लगाया जा रहा है। बुशहर रियासत और तिब्बत के राजाओं के मध्य हुई संधी के बाद तिब्बत, किन्नौर, लाहुल स्पीति, शिमला, कुल्लू व मंडी सहित प्रदेश भर ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों से भी लोग अपने उत्पाद लेकर यहां व्यवसाय करते हैं।
खासकर ऊन, ऊन से बने वस्त्र, पशम, ड्राई फ्रूटए, गर्म वस्त्र, लोहे व धातु के औजार और अन्य सामान की खूब खरीददारी होती है। इस बार कोरोना के डर से यह व्यापार अपनी चमक खो देगा। इतना ही नहीं इस बार सांस्कृतिक संध्याएं भी आयोजित नहीं होंगी। लवी मेला न केवल रामपुर के लोगों के लिए बलिक प्रदेश के साथ-साथ बाहरी लोगों के व्यापार का अहम स्थान है। कोरोना के मामले जिला शिमला में रामपुर उपमंडल में सबसे अधिक आ रहे हैं। ऐसे में मेले को सूक्ष्म तरीके से आयोजित करना भी खतरे से खाली नहीं है। जोखिम के बीच मेला आयोजित किया जा रहा है।
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