शिमला— प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में अभी तक स्वाइन फ्लू के मामलों से निपटने के लिए कोई तैयारियां नहीं की गई है। मौजूदा समय में हालत ये है कि जब कोई मरीज अस्पताल पहुंचेगा तभी अस्पताल प्रशासन भी जागेगा। अस्पताल में तभी आइसोलेशन वार्ड खाली होगा जब स्वाइन फ्लू के मरीज अस्पताल में आने शुरू हो जाएगें ऐसे में सवाल उठता है कि अगर मरीजों को समय पर अस्पताल में स्वाइन फ्लू का इलाज नहीं मिलता है और अगर मरीज को कुछ हो जाता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। वहीं प्रदेश में स्वाइन फ्लू अपने पांव पसार चुका है। बीते कल टांडा मेडिकल कालेज में स्वाइन फ्लू का एक मामला पॉजिटिव आया है। इससे तो सबक लेते हुए आईजीएमसी प्रशासन को नींद से जाग जाना चाहिए ताकि स्वाइन फ्लू प्रदेश में अपना आंतक बड़ाए अस्पताल प्रशासन उससे पहले निपटने को तैयार रहे। अस्पताल प्रशासन ने इस मामले पर तो ये कहते हुए अपना पल्ला झाड़ दिया है कि अभी अस्पताल में स्वाइन फ्लू का कोई मरीज नहीं पहुंचा है जब मरीज आएगें तो वार्ड को खाली कर दिया जाएगा, लेकिन एकदम मरीजों को दूसरे वार्ड में कैसे शिफ्ट करेंगे, जब स्वाइन फ्लू के केस अस्पताल में आने शुरू हो जाएगेें। इस तरह से तो स्वाइन फ्लू के मरीज को तो दिक्कतें होगी ही साथ ही और मरीज भी परेशान होगें। उल्लेखनीय है कि आईजीएमसी प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है यहां प्रदेश भर से मरीज पहुंचते है, लेकिन अगर यहां पर ही सुविधाएं इस तरह से होगी तो दूसरे अस्पतालों से क्या उम्मीद की जा सकती है।
सर्दियों में बढ़ते हैं स्वाइन फ्लू के मामले
इस बात से कोई भी अंजान नहीं है कि सर्दियों के मौसम में स्वाइन फ्लू के मामले ज्यादा आने लगते है। स्वाइन फ्लू एक खतरनाक बिमारी है,इस बीमारी का अगर समय पर इलाज नहीं मिल पाता तो मरीज की मौत तक हो जाती है। खांसी ,जुकाम,कफ आना, बुखार, कमजोरी भूख न लगना ये सारे सिमटम स्वाइन फ्लू की बीमारी के होते है। सर्दीयों के मौसम में चिकित्सकों की और से लोगों से अपिल की गई है कि वे अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखें व किसी तरह की कोई शिकायत हो तो अस्पताल में टैस्ट करवाए।
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