भरमौर — भरमौर की सड़कों पर हादसों का शोर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर वर्ष दर्जनों लोग अकाल मौत के क्रूर पंजों में समा रहे हैं, लेकिन सरकारी तंत्र हादसों की रोकथाम में पूरी तरह फेल हो रहा है। हादसों की रोकथाम हेतु सरकारी कोशिशें बौनी साबित हो रही हैं तथा लोगों की जिंदगियों पर भारी पड़ रही है। भरमौर की सड़कों पर सफर करना भी नासूर बनता जा रहा है। आखिरकार कब तक लोगों की अनमोल जिंदगियां जाती रहेंगी, कब तक घरों के घर बर्बाद होते रहेंगे और कब तक घरों के चिराग यूं ही बूझते रहेंगे। कई सवाल ऐसे हैं, जिनका हल ढूंढने के लिए कुछ न कुछ करना होगा, लेकिन करे कौन? हादसे गहरी संवेदनाएं, बतौर फैरी राहत चंद कागज के टुकड़े और मामला फाइलों में बंद, मगर सुधार के नाम पर कुछ नहीं। हादसों के लिए बदनाम भरमौर की सड़कों पर अब लोग सफर करने से भी कतराने लगे हैं। रविवार को बड़ग्रां में हुआ हादसा भी लोगों की रूहों को कंपकंपा देने वाला था, जिसके लिए शायद सड़क की माली हालत ही जिम्मेदार थी। इसके अलावा यह हादसा कई ऐसे सवाल छोड़ गया है, जिनका हल पहले ही ढूंढा होता तो शायद यह अनहोनी न होती और 12 जिंदगियां बच जाती। भरमौर बड़ग्राम सड़क मार्ग से सेंक्चुरी क्षेत्र की बफर जोन पलासी नाला से आगे अगर सड़क नहीं बनाई होती तो शायद यह दिन न देखना पड़ता, क्योंकि यह क्षेत्र सेंक्चुरी एरिया में आता है। यदि बना ही दी थी तो यहां तो पैरापिट व सड़क की समुचित चौड़ाई होती तो शायद हादसा नहीं होता, मगर होनी को कौन टाल सकता है।
source: DivyaHimachal
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