शिमला — मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा है कि वह हिमाचली रेल प्रोजेक्टों को लेकर रेल मंत्रालय की उदासीनता से नाखुश हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सभी प्रयासों के बावजूद जो मदद हिमाचल को मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल सकी है। वित्त वर्ष 2013-14 के लिए तीन रेल परियोजनाओं के लिए कुल 14 करोड़ रुपए की राशि संतोषजनक नहीं है। वह फिर से प्रयासरत हैं। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह समेत रेल मंत्री से भी लिखित तौर पर मुद्दा उठाया जा चुका है। प्रश्नकाल के दौरान विधायक रविंद्र रवि के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अंब तक 44 किलोमीटर रेललाइन बन चुकी है। इसकी कुल लंबाई 83 किलोमीटर होगी। 17 किलोमीटर लाइन दौलतपुर चौक तक बिछ रही है। इसका 100 फीसदी खर्चा केंद्र सरकार वहन कर रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि भानुपल्ली-नंगल-बिलासपुर रेललाइन का सर्वेक्षण करीबन 22 वर्ष पहले तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने ही करवाया था। जिस पर राज्य सरकार ने अपने खजाने से ही 25 लाख रुपए की राशि खर्च की थी। इसका मकसद उन अंदेशों पर विराम लगाना था, जिसके तहत रेल मंत्रालय व कुछ एजेंसियां ये दुहाई दे रहीं थी, कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में ब्रॉडगेज रेललाइन बिछाना मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि उसे गलत साबित करने के लिए ही रेलवे के उपक्रम राइट्स से ही यह सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करवाई गई थी, जिसे बाद में रेल मंत्रालय ने ही मंजूर किया।
source: DivyaHimachal
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