शिमला — 18 लंबी बैठकों के बाद हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र अनिश्चितकाल के लिए मंगलवार को स्थगित कर दिया गया। इस दौरान सत्तापक्ष ने हाजिर जवाबी का परिचय देते हुए कई मौकों पर जहां विपक्ष पर दबाव बनाया, वहीं प्रतिपक्ष ने एकजुटता का बखूबी परिचय देते हुए सात बार वाकआउट किए। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस दौरान कई मास्टर स्ट्रोक खेले। मिसाल के तौर पर सत्र के अंतिम रोज उन्होंने विपक्ष के वाकआउट पर वेतन भत्ते संशोधित विधेयक 2013 वापस लेने का ऐलान कर दिया। यही नहीं फोन टैपिंग के मुद्दे पर भी उन्होंने सदन में टेलीकॉम एक्ट का हवाला देकर विपक्ष को इस मामले पर चुप करवा दिया। विपक्ष ने इस मामले में चर्चा मांगी थी, जो नहीं हो सकी। नए मंत्रियों की फेहरिस्त में संसदीय कार्य मंत्री मुकेश अग्निहोत्री, शहरी आवास मंत्री सुधीर शर्मा, विधायक आशा कुमारी कई मौकों पर सरकार की ढाल बनते दिखे। वहीं वरिष्ठ मंत्रियों में कौल सिंह ठाकुर व जीएस बाली ने भी सत्तापक्ष की साख बरकरार रखने के लिए कोई कमी नहीं रखी। विपक्ष ने प्रतिपक्ष के नेता प्रो. धूमल के नेतृत्व में एकजुटता का बखूबी प्रदर्शन किया। इसके विधायकों सत्ती, रवि, बिंदल व महेंद्र सिंह के साथ-साथ रणधीर ने भी सत्तापक्ष का जमकर मुकाबला किया। बजट सत्र के दौरान 448 तारांकित व 251 अतारांकित सवालों के जवाब सरकार ने सत्तापक्ष व विपक्ष के विधायकों को प्रश्नकाल के दौरान उपलब्ध करवाए। नियम 62 के तहत एक महत्वपूर्ण मामले पर सदन में चर्चा हुई। वहीं विशेष उल्लेख के माध्यम से लोकहित के 24 विषयों की सरकार द्वारा वस्तुस्थिति बताई गई।
source: DivyaHimachal
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