छात्र अभिभावक मंच ने प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना काल में निजी स्कूलों की फीस व अन्य चार्जेज के संदर्भ में जारी की गई अधिसूचना को वापस लेने पर हैरानी व्यक्त की है व इस अधिसूचना में अस्पष्टता बरकरार रखने पर सरकार की निंदा की है। मंच का आरोप है कि इस अस्पष्टता के पीछे सरकार की निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत है ताकि निजी स्कूल इसका फायदा उठा कर अभिभावकों की लूट जारी रख सकें। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि इसमें कहीं नहीं लिखा गया है कि निजी स्कूल भविष्य में पुरानी फीस भी वसूल सकते हैं।
उच्च न्यायालय ने भी अपने आदेश में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया है कि निजी स्कूल बकाया फीस वसूल सकते हैं। उन्होने कहा कि फिर प्रदेश सरकार को इस अधिसूचना में यह लिखने में क्या दिक्कत थी कि निजी स्कूल 30 अक्तूबर 2020 से पहले की सिर्फ टयूशन फीस वसूलेंगे व उसके बाद ही यह अधिसूचना लागू होगी। जब कक्षाएं ही नहीं लगीं, ज्यादातर स्कूलों ने पांच महीनों तक कोई ऑनलाइन कक्षाएं नहीं चलाईं, जब अभिभावकों व बच्चों ने स्कूल का कोई साधन इस्तेमाल ही नहीं किया,जब बच्चों व अभिभावकों ने निजी स्कूलों की किसी सेवा को इस्तेमाल तक नहीं किया तो फिर निजी स्कूल कोरोना काल की टयूशन फीस के अलावा किस बात की पूर्ण फीस मांग रहे हैं।
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