राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किया अंतरराष्ट्रीय दशहरे का शुभारंभ
कुल्लू – एक सप्ताह तक चलने वाला अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव पारंपरिक हर्षोल्लास एवं उत्साह के साथ आरंभ हो गया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कुल्लू के प्रसिद्ध ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथजी की रथयात्रा में भाग लेकर दशहरा महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर लेडी गवर्नर दर्शना देवी भी उपस्थित रहीं। दशहरा के पावन अवसर पर प्रदेश के लोगों को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की संस्कृति बहुत समृद्ध व अद्वितीय है, जिसकी विश्व भर में अलग पहचान है। प्रदेश में वर्ष भर आयोजित होने वाले मेले और त्योहार यहां के लोगों की समृद्ध परंपराओं और धार्मिक आस्था को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के इस दौर में भी प्रदेश के लोगां ने अपनी समृद्ध संस्कृति और रीति-रिवाजों को संरक्षित रखा है, जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि इन परंपराओं और संस्कृति को भविष्य की पीढि़यों के लिए संरक्षित रखने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने इस अवसर पर विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया और स्टालों पर जाकर विभिन्न उत्पादों का अवलोकन किया। ऐतिहासिक लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में दशहरा उत्सव पर सात दिनों तक आयोजित किए जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। कुल्लू दशहरा उत्सव में इस वर्ष क्षेत्र के लगभग 225 देवी-देवता शामिल हुए हैं। इस मौके पर परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर, विधायकगण एवं जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी व अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित रहे।
नजर बंद रहे देवता बालूनाग और श्रृंगाऋषि
कुल्लू— दशहरा उत्सव में पहुंचे बालूनाग व शृंगा ऋ षि इस बार भी रघुनाथ की रथयात्रा में शामिल नहीं हो पाए। दोनों देवता नजरबंद रहे। जैसे ही दोनों देवताओं ने कुल्लू में प्रवेश किया तो पुलिस जवानों के घेरे में रहे। रथ यात्रा के दौरान अस्थायी शिविर में रहे। गौरतलब है कि धुर विवाद के चलते जिला प्रशासन ने बालूनाग व श्रृंगा ऋ षि को इस बार दशहरा में आने के लिए निमंत्रण ही नहीं भेजा था, लेकिन दोनों देवता पिछले सालों की भांति इस बार भी आए, लेकिन उन्हें नजरबंद रखा गया। हालांकि रथ यात्रा से पहले दोनों देवता अलग-अलग समय में भगवान रघुनाथजी के मंदिर रघुनाथपुर पहुंचे। बता दें कि पहले शृंगा ऋषि रघुनाथपुर के लिए निकल पडे़ थे। इसके बाद देवता बालूनाग भी लाव-लश्कर के साथ रघुनाथपुर गए थे और रघुनाथपुर में भगवान रघुनाथ जी से भव्य मिलन कर अपने-अपने अस्थायी शिविर में आए।
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Courtsey: Divya Himachal
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