शिमला— टीबी मरीजों को टै्रक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक पहल की है। शिमला जिला में दवाईयां बेच रहे कैमिस्ट अब सीधी तौर पर टीबी की दवाई शैड्यूल एच-1 मरीजों को बिना नोटीफाई के नहीं दे पाएंगे। दवाई देने से पहले कैमिस्ट को जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी और ड्रग इंस्पेक्टर को सूचित करना होगा। इसके बाद ही वह दवाई मरीज को दे सकेगें। इस संबध में कैमिस्ट यूनियन की एक बैठक जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. नीरज मित्तल की अध्यक्षता में बुधवार को संपन्न हुई। बैठक में सर्वसम्माति से निर्णय लिया गया कि कैमिस्ट अब टीबी की दवाई मरीजो को देने से पहले जिला अधिकारी से संपर्क करेगें। जिला स्वास्थय विभाग ने निजी डॉक्टरों द्वारा टीबी का ईलाज किए जाने वाले मरीजों को ट्रैक करने के लिए यह कदम उठाया गया है। जिला स्वास्थय अधिकारी ने यह कदम इसी मकसद से उठाया है कि ताकि टीबी के मरीज पर नजर रखी जा सके और इसके बाद सुपरवाइजर बार बार टीबी के मरीजों की देख रेख भी कर सके । इसके साथ जिला में कितने टीबी के मरीज है इसके बारे में भी उनके पास पूरा ब्यौरा हो। जिला स्वास्थय अधिकारियों के अनुसार यह कदम इसलिए भी उठाया गया है कि क्योंकि कई टीबी के पैंसेट दवाइयां बिच में ही छोड़ देते है जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है। इसे रोकने के लिए भी यह कदम जिला स्वास्थय विभाग ने उठाया है। बैठक में अस्पताल सीनियर एमएस डा. रंजना रॉव, कैमिस्ट यूनियन प्रधान संजीव पंडित, विश्व स्वास्थ्य संगठन के डा. रविंद्र कुमार, डा. उमेश भारती, सहित अन्य मौजूद रहे।
पहले सूचना…फिर दो दवाई
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