जोगिंद्रनगर — प्रदेश सरकार ने प्रदेश के निजी स्कूलों पर तो पुस्तकें तथा वर्दियां बेचने पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन प्रदेश के एकमात्र राजस्व प्रशिक्षण संस्थान जोगिंद्रनगर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षु पटवारियों से किताबों के मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। आरोप है कि संस्थान में प्रशिक्षु पटवारियों से 40 रुपए वाली पुस्तक के 80 रुपए तथा 500 रुपए वाली पुस्तक के 1200 रुपए तक लिए जा रहे हैं। इसी तरह प्रशिक्षुओं को लगभग 1500 रुपए की पुस्तक के लिए 3000 तक की राशि चुकता करनी पड़ रही है। इस कारण प्रशिक्षु पटवारियों को बेरोजगारी के आलम में रोजगार की बाट जोहते-जोहते आर्थिक तौर पर नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रशिक्षुओं को यहां तक भी कहा जा रहा है कि पुस्तकें खरीदने के लिए कोई जबरदस्ती नहीं है तथा वे चाहें तो पुस्तकें बाजार से खरीद सकते हैं। राजस्व कानून की पुस्तक ों के अधिक प्रकाशक एवं मुद्रक न होने के कारण आम बाजार में ये पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं। इसी के चलते पटवारी पशिक्षुओं को सोसायटी की कथित मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षुओं का कहना है कि यदि वास्तव में ही पुस्तकों का इतना दाम है तो फिर इन किताबों पर पुराने की जगह ज्यादा रेट की पर्चियां क्यों चिपकाई गई हैं तथा मुद्रक एवं प्रकाशक इस पर ज्यादा रेट भी तो अंकित कर सकता था। ऐसे में प्रशिक्षण शुरू होते ही संस्थान पर सवालिया निशान उठना शुरू हो गए हैं। संस्थान में मौजूदा में पौने दो सौ से भी अधिक प्रशिक्षु पटवारियों का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
from Divya Himachal
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