बिलासपुर — अब प्रदेश में रेशमपालक उत्तराखंड के साहसपुर में पैदा होने वाले बीजरहित शहतूत की नई प्रजाति उगाएंगे। सेंटर सिल्क बोर्ड ने टीआर-10 को रिकोमेंट कर दिया है। इसके अलावा एस-1635 प्रजाति भी प्रदेश में हरियाली लाएगी। जानकारी के मुताबिक अभी तक प्रदेश में शहतूत की केवलमात्र एस-146 प्रजाति ही पैदा की जा रही है। रेशमपालन विभाग ने साल दर साल बढ़ रहे रेशमपालकों के आंकड़े के मद्देनजर अब प्रदेश में कोकून उत्पादन बढ़ाने का फैसला लिया है। इसके लिए बीजरहित शहतूत की प्रजाति को सेंटर सिल्क बोर्ड की हरी झंडी भी मिल गई है। यह नई प्रजाति किसानों को जल्द ही प्रदान की जाएगी। उल्लेखनीय है कि विभाग ने प्रदेश में कोकून प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए शहतूत की नई नर्सरियां विकसित करने की योजना बनाई है। इस बाबत योजना का मसौदा तैयार कर स्वीकृति के लिए सरकार को भेज दिया गया है। बिलासपुर में दस, सोलन में एक और सिरमौर में तीन नई नर्सरियां बनेंगी। शहतूत पौधों की साल दर साल बढ़ रही डिमांड के मद्देनजर यह प्लान तैयार किया गया है। बिलासपुर की बात करें तो यहां स्थापित की गई तीन नर्सरियों में एक लाख 16 हजार शहतूत के पौधे उगाए जा रहे हैं। इस योजना के तहत सदर हलके के करोट नर्सरी में 20 हजार, घुमारवीं की दाबला नर्सरी में 80 हजार और सदर की चांदपुर नर्सरी में 16 हजार पौधे तैयार किए गए हैं। अब रेशमपालन विभाग ने बिलासपुर जिला में दस नई नर्सरियां विकसित करने की योजना तैयार की है। इसके अलावा सिरमौर में तीन और सोलन में एक नर्सरी स्थापित की जाएगी। योजना सिरे चढ़ी तो प्रदेश में शहतूत के पौधे बाहर से मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डिमांड यहां स्थापित नर्सरियां ही पूरी कर देंगी।
source: DivyaHimachal
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