सोलन —लॉरेंस स्कूल सनावर के शेर दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर को ढेर कर सोमवार को स्कूल पहुंचे हैं। स्कूल पहुंचने के बाद आधा दर्जन से अधिक उक्त सभी छात्रों के हौसले बुलंद थे। सीढ़ी से पांव खिसकने के बाद भी अपने आप को संभालना सहित एवरेस्ट को भेदने के लिए आई तकनीकी खराबियों के विचार सोमवार को विद्यार्थियों ने साझा किए। सोमवार को स्कूल पहुंचे उक्त सभी छात्रों की जुबान से अद्भूत था अनुभव की बात निकल रही थी। सोमवार को स्कूल पहुंचते ही राघव जनेजा, हकीकत सिंह, अजय, पृथ्वी सिंह, गुरीबादत सिंह, फतेह सिंह तथा शुभम कौशिक का छात्रों व स्कूल स्टाफ सदस्यों ने जोरदार स्वागत किया। छात्रों व उपस्थित स्टाफ से अपने विचार साझा करते हुए माउंट एवरेस्ट को भेदने वाले भारत के सबसे कम उम्र के विद्यार्थी राघव जनेजा ने इस अनुभव को चुनौती पूर्ण करार दिया है, जो कि भविष्य में उनके काम आएगा। चढ़ते जाना और चढ़कर विजय हासिल करना उनके लिए विषमकारी अनुभव था। शुभम कौशिक ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि चोटी पर चढ़ते हुए जब उनका पैर खिसका तो, वह आठ फीट गहरी खाई में गिरने से बचे हैं, जो कि उनके लिए काफी भयानक पल था। हकीकत सिंह ग्रेवाल को अब भी वो पल याद आ रहे हैं, जब ऐवरेस्ट पर चढ़ते समय उनके ऑक्सीजन सिलेंडर में तकनीकी खराबी आई थी।
source: DivyaHimachal
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