अभी भी बर्फ में फंसे 24 भेड़पालक


रिकांगपिओ — किन्नौर जिला के लिप्पा गांव में तीन दिन पूर्व मकान ढहने से हुए पांच नेपाली मजदूरों के शवों को आईटीबीपी की मदद से शनिवार को निकालने का कार्य शुरू कर दिया गया है। देर शाम समाचार लिखे जाने तक आईटीबीपी सहित स्थानीय ग्रामीण इस कार्य में जुटे रहे। गौर रहे कि किन्नौर जिला में 15 से 17 जून के बीच ऊपरी क्षेत्रों में बेमौसमी बर्फबारी तथा निचले क्षेत्रों में हुई अत्यधिक बारिश के कारण अब तक मारने वालों की संख्या बढ़ कर 19 हो चुकी है। पिछले एक सप्ताह से किन्नौर के विभिन्न खंडों में बर्फ के बीच फंसे दो दर्जन भेड़पालकों की तलाश में निकली एनडीआरएफ की सर्च अभियान के बाद 24 भेड़पालकों का पता लगा लिया गया है, जो पूरी तरह कुशल बताए जा रहे हैं, जबकि एक नेपाली भेड़पालक अब भी लापता है। किन्नौर जिला में इस त्रास्दी की पहली घटना टापरी के पास हुई, जब बारी बारिश के बीच एक कार दुर्घटनाग्रस्त होने से भूपेंद्र नामक युवक की मौत हो गई। इसी तरह कानम कंडे में टावर निमार्ण कार्य में लगे दो बंगोली मजदूर सरकेमाल तथा ज्ञान बहादुर की मौत भू—स्खलन की चपेट में आने से हुई है। इसी प्रकार मूरंग स्थित लोक निर्माण विभाग के चौकीदार हट पर पेड़ गिरने के कारण चौकीदार तेज बहादुर सहित उसकी दो साल की बेटी सोमा की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी। पूह आर्मी कैंप के पास भी पहाड़ी पर से चट्टानों के गिरने के कारण आर्मी जवान बगाने शिवाजी की मौत हो गई। यूला गांव में ही अत्यधिक बारिश के कारण मकान ढहने से जार पति तथा बालट्रंग के पास पहाड़ी पर से पत्थर गिरने के कारण कमरे में बैठे तीन वर्ष के बालक कर्मा तामंग की मौत हो गई। गौर रहे कि टापरी में चेतराम नामक एक प्रवासी मजदूर को चार दिन बाद मलबे के ढेर के नीचे से निकाला गया।







source: DivyaHimachal

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