बिना पढ़ाए वसूली 55 लाख फीस


शिमला — शिक्षा विभाग ने स्कूली छात्रों से अपै्रल माह की फीस वसूल कर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। प्रदेश भर में छात्रों के अभिभावक इसका विरोध कर रहे हैं, चूंकि बीते अपै्रल माह के दौरान स्कूलों में कम्प्यूटर विषय पढ़ाने के लिए अध्यापक ही नहीं थे। ऐसे में प्रत्येक छात्रों से 110 रुपए फीस वसूली तर्कसंगत नहीं है। अभिभावक अपै्रल माह की फीस वापस लौटाने की मांग कर रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में नौवीं से 12वीं कक्षा के छात्रों को स्कूलों में कम्प्यूटर विषय पढ़ाया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए एक निजी कंपनी को अनुबंधित कर रखा है। शिक्षक नियुक्त करने का जिम्मा विभाग ने कंपनी को दे रखा था, लेकिन कंपनी निर्धारित समय अवधि में शिक्षकों को नियुक्त नहीं कर पाई है। इससे स्कूली छात्र पूरे महीने कम्प्यूटर शिक्षकों के इंतजार में रहे, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति 29 अपै्रल को की गई। इस तरह पूरे माह भर स्कूलों में कम्प्यूटर विषय नहीं पढ़ाया गया तो फीस किस बात की ली गई है। यही सवाल छात्रों के अभिभावक कर रहे हैं। ठियोग निवासी सुरेंद्र हेटा, हमीरपुर निवासी मदन लाल, संजौली के रवि कुमार ने प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग से गुहार लगाई है कि या तो अपै्रल माह की फीस वापस लौटाई जाए या फिर मई माह की फीस में इसे समायोजित किया जाए। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करीब 75 हजार छात्र-छात्राएं कम्प्यूटर विषय पढ़ रहे हैं। सामान्य श्रेणी के छात्रों से 110 रुपए मासिक फीस ली जाती है, जबकि अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए 55 रुपए प्रतिमाह फीस निर्धारित की गई है। इस लिहाज से विभाग ने करीब 70 लाख रुपए फीस छात्रों से वसूली है। अभिभावक व छात्र इससे ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इस संदर्भ में जब शिक्षा विभाग का पक्ष जानने के लिए उच्च शिक्षा निदेशक दिनकर बुराथोकी से संपर्क साधने का प्रयास किया गया,तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।







source: DivyaHimachal

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