शिमला —एचपीयू में ईसी की बैठक के दौरान छात्र संगठनों ने जमकर हंगामा किया। कमेटी रूम में बैठक चल रही थी, बाहर माहौल तनावपूर्ण बना हुआ था। एबीवीपी व एनएसयूआई कार्यकर्ताओं में सुबह के समय हुई झड़प के बाद कार्यकर्ता आपस में बहसबाजी करते रहे। तनाव बढ़ता देख पुलिस ने सुरक्षा के घेरे को कड़ा कर दिया। कैंपस सहित होस्टल में भी सुरक्षा कर्मियों की तैनाती बढ़ा दी गई। इससे पहले तीनों छात्र संगठनों ने ईसी सदस्यों को ज्ञापन सौंपा। एचपीयू केंद्रीय छात्र संघ ने विवि प्रशासन से सहायक प्रोफेसर पदों के लिए पिछले वर्ष आयोजित साक्षात्कार प्रक्रिया को रद्द करने की मांग उठाई। एससीए अध्यक्ष राहुल चौहान व सचिव विक्रम कायथ ने आरोप लगाते हुए कहा कि चुनावी आचार संहिता के दौरान भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि विवि प्रशासन लगातार नान सब्सिडाइज सीटों की संख्या लगातार बढ़ाता जा रहा है, छात्रों को बैठने तक की सुविधा कक्षाओं में नहीं है। अपरोक्ष तरीके से फीस का भार छात्रों पर थोपा जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन जल्द से जल्द फीस बढ़ोतरी पर कोई फैसला ले। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन लगातार शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा दे रहा है। परीक्षा शाखा को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है। इससे विवि की सीक्रेसी पर सवालिया निशान उठना लाजमी है। उन्होंने ईसी सदस्यों ने बैठक में इन सभी मांगों को प्रमुखता से उठाने की मांग की, ताकि छात्रों को राहत मिल सके। उधर, एबीवीपी ने भी छात्रों की समस्यांओं को लेकर ज्ञापन सौंपा। एबीवीपी के विवि इकाई अध्यक्ष कुशल कौंडल ने कहा कि ज्ञापन में विवि में शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारियों के रिक्त पड़े पदों को भरना, यूजी कक्षाओं में समेस्टर सिस्टम के प्रस्ताव को वापस लेना, परीक्षा शाखा में निजीकरण को बंद करना, गर्ल्ज होस्टल में एमआई रूम व रीडिंग रूम की व्यवस्था करना, एमए जियोग्राफी को एमएससी जियोग्राफी में तब्दील करना, साइंस विभाग का नेट जेआरएफ सेंटर हिमाचल मे खोलना, एमए फिजिकल एजुकेशन को एमपीएड में तबदील करना, विवि में यूजी पीजी कक्षाओं के परीणाम समय पर निकालना, आर्ट फेज-3 व एमटीए के भवन का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू करना, कन्या छात्रावास के निर्माण कार्य में तेजी लाना, विवि परिसर में कूड़ेदानों की उचित व्यवस्था करना, परिसर मे पार्किंग व्यवस्था, शोध छात्रों को छात्रवृति समय पर देना, बस किराए में बढ़ोतरी वापस लेना, व ज्यादा बसें चलाने की समस्यां को रखा।
source: DivyaHimachal
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