काजा —जनजातीय उपमंडल स्पीति में लंबे समय से हांफ रहे रोंगटोंग हाइडल प्रोजेक्ट को संजीवनी मिलेगी। इस कड़ी में करीब सात करोड़ रुपए की लागत से रोंगटौंग हाइडल प्रोजेक्ट का कायाकल्प होगा। केंद्र सरकार की विशेष वित्तीय सहायता से राज्य विद्युत परिषद ने इस हाइडल प्राजेक्ट की रेनोवेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे न केवल शीतमरुस्थल में व्याप्त अंधेरे में बिजली के उजाले होंगे, बल्कि रोंगटौंग हाइडल प्रोजेक्ट की पुरानी मर्ज के ठीक होने की भी संभावना है। प्रथम चरण में ग्लोबल टेंडरों पर मुहर लगाने के बाद प्रोजेक्ट की दो टरबाइनों को रेनोवेशन के लिए कोलकाता भेजा गया है। कलकता में प्रोजेक्ट की पुरानी टरबाइनों में नवीन तकनीक के पैबंद लगेंगे। 80 के दशक की बूढ़ी टरबाइनों में लगाए जा रहे नए पैबंद बिजली उत्पादन की क्षमता को कितना अधिक बढ़ा देंगे और पिछले बीस साल से बिजली संकट का सामना कर रहे इस बर्फीले पठार को किस हद तक जगमगा देंगे; इस पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। अंधेरे की आगोश में रातें बिता रहे स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने रेनोवेशन प्रक्रिया को अनुचित करार दिया। उनका कहना है कि सही होता अगर पुरानी मशीनों का कायाकल्प करने की बजाय बिजली घर में एक नई टरबाइन लगाई गई होती। करोड़ों रुपए की केंद्रीय वित्तीय सहायता के बाद इन मशीनों की एक बार फिर रेनोवेशन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिनमें दो मशीनें कोलकाता भेजी गई हैं तथा दो अन्य को अब भेजने की तैयारी है। अधिशाषी अभियंता राज्य विद्युत परिषद डीपी सिंह का कहना है कि रोंगटोंग हाइडल प्रोजेक्ट की रेनोवेशन चल रही है। इसके लिए दो मशीनें भेजी गई हैं। उधर, राजीव गांधी पंचायती संगठन राज संगठन स्पीति के संयोजक सोहन सिंह ने कहा कि प्रोजेक्ट में पुरानी मशीनों की रेनोवेशन कतई उचित नहीं है। करोड़ों खर्च करने पर भी इनकी हालत नहीं सुधरी है।
source: DivyaHimachal
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