आजाद हिंद फौज के सिपाही पंचतत्त्व में विलीन


नगरोटा बगवां, चामुंड़ा, धर्मशाला — नगरोटा बगवां के समीपवर्ती गांव अंबाड़ी के स्वतंत्रता सेनानी धनीराम (96) का निधन हो गया। सोमवार को पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार चामुंडा नंदिकेश्वर धाम में किया गया। पुलिस दल ने पार्थिव देह को गार्ड आफ ऑनर दिया, जबकि जिला पुलिस प्रमुख बलवीर सिंह ठाकुर, कांगड़ा पुलिस के उपमंडलीय अधिकारी दिनेश शर्मा, एसडीएम कांगड़ा अजीत भारद्वाज, एसएचओ डीआर राव,नायब तहसीलदार अजीत प्रसाद शर्मा, स्थानीय पंचायत प्रधान कुलवंत सिंह राणा आदि ने स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धांजलि अर्पित की। 236 इंजीनियरिंग रेजीमेंट के सैनिकों ने सूबेदार ओमप्रकाश की अगवाई में श्रद्धांजलि अर्पित की। वर्ष 1918 में होंशुराम के जन्मे धनीराम ने 1939 में अंग्रेजी हुकूमत में नौकरी शुरू की थी, लेकिन शीघ्र ही नौकरी छोड़ वह 1942 में सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए थे। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध भी लड़ा और उन्होंने तैनाती के दौरान सिंगापुर समेत कई जेलों में समय भी बिताया। आजादी के संघर्ष में महत्त्वूपर्ण भूमिका निभाने पर उन्हें भारत सरकार की ओर से ताम्रपत्र भी मिला। 1972 में वह स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मिलने वाले लाभों के भी हकदार बने, जिनमें पेंशन की सुविधा भी शामिल है। वह अपने पीछे चार पुत्र छोड़ गए हैं। उनकी पत्नी का देहांत तीन वर्ष पूर्व हो गया था। इसके साथ ही 1942 से 1945 तक के द्वितीय विश्व युद्ध के सेनानी धनीराम को दिसंबर 1945 में सेना से भगोड़ा घोषित कर डिस्चार्ज कर दिया गया, क्योंकि इस दौरान आजाद हिंद फौज में उनकी सहभागिता सामने आ चुकी थी। उन्हें 1941 में एफएफ राइफल में बतौर सिपाही तैनाती मिली थी, जबकि स्वतंत्रता सेनानी का खिताब उन्हें 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ताम्र पत्र के साथ दिया।







source: DivyaHimachal

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