शिमला — तबादला नीति को लेकर मंत्रिमंडल की उपसमिति ने गुरुवार को बैठक की। स्वास्थ्य एवं राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सूत्रों के मुताबिक प्रधान सचिव कार्मिक से स्टेशन स्तर का जो रिकार्ड मंगवाया गया था, उस पर गहन चर्चा की गई। इसके बाद उपसमिति ने तबादलों के लिए नियमों का प्रारूप तैयार किया। इसी संदर्भ में गुरुवार को ही उपसमिति के सदस्य मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से भी बैठक करने गए। मुख्यमंत्री से विस्तृत विचार विमर्श के बाद उपसमिति ने फिर से सचिवालय में ही बैठक की। मार्च के अंत तक इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है। उपसमिति तबादला नीति को लेकर सिफारिशें तैयार करेगी, जो कि बाद में प्रदेश उच्च न्यायालय को सौंपी जाएंगी। मंत्रिमंडल उपसमिति की यह तीसरी बैठक थी। उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को तबादला नीति जल्द तैयार करने के आदेश दे रखे हैं। उपसमिति द्वारा तीन साल की अवधि के बाद तबादला नीति पर सख्ती से अमल करने को लेकर चर्चा किए जाने की सूचना है। इससे पहले शांता सरकार से लेकर इसकी बाद की सभी सरकारों ने ठोस तबादला नीति को लेकर कई रिपोर्ट्स तैयार कीं, मगर उन्हें अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। यही वजह रही कि अंततः हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को इस मामले में सख्त आदेश देने पड़े। अधिकारी व कर्मचारी अब उम्मीद जता रहे हैं कि प्रदेश में एक ऐसी ठोस तबादला नीति सामने आएगी, जिसमें कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों के हित समाहित रहेंगे। कर्मचारी तबादलों में राजनीतिक उत्पीड़न को लेकर भी सवाल उठाते रहे हैं। यही नहीं, जनजातीय क्षेत्रों में भी तबादलों को लेकर पिक एंड चूज के आरोप सरेआम लगते रहे हैं। प्रभावशाली वर्ग शहरी क्षेत्रों में जहां अरसे से जमा रहता है, वहीं सामान्य कर्मी व अधिकारी ठोस तबादला नीति के अभाव में शिकार बनते हैं। अब वीरभद्र सिंह सरकार को ठोस तबादला नीति का यदि श्रेय हासिल होता है तो हिमाचल के कर्मियों के लिए भी एक वरदान साबित हो सकता है।
source: DivyaHimachal
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