बारूद के ढेर पर ऊना अस्पताल

ऊना — जिला ऊना के क्षेत्रीय अस्पताल में आग सहित अन्य आपदाओं से निपटने के कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं है। अस्पताल में यदि अचानक आग लग जाए या भूंकप सहित अन्य आपदा आ जाए तो ऐसी स्थिति में रोगियों व अन्य लोगों की जान बचाने के लिए भगवान ही रखवाला है। अस्पताल प्रशासन द्वारा अब तक किए गए प्रबंध नाकाफी साबित हुए हैं। यह खुलासा जिला अग्निशमन केंद्र ऊना के प्रभारी भूपिंद्र पाल डोगरा ने क्षेत्रीय अस्पताल का औचक निरीक्षण करने के बाद किया है। उन्होंने कहा कि आपातकालीन सेवा के इस अस्पताल में आग से निपटने के लिए अग्निशमन यंत्र नाम मात्र लगाए गए हैं। अस्पताल में अग्निशमन यंत्र इस लिए अति आवश्यक है, ताकि प्रथम चरण में आग लगने की स्थिति में कर्मचारी स्वयं अग्निशमन यंत्रों को आग पर प्रयोग करके आग की बड़ी घटना को टाल सकते हैं। उन्होंने निरीक्षण के दौरान पाया कि रोगियों के वार्डों में अग्निशमन यंत्रों की कमी है। स्टोर के आसपास अग्निशमन यंत्र स्थापित ही नहीं है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अस्पताल ऊना मंे उपचाराधीन रोगियों की बढ़ती संख्या के अनुसार आपातकाल से निपटने के लिए इंतजाम नाकाफी हैं। अस्पताल में भूकंप सहित अन्य आपदाओं को लेकर सुरक्षित तरीके से बाहर आने की स्थिति भी असमंजस में है। अग्निशमन प्रभारी ने कहा कि क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में आग सहित अन्य आपदाओं से बचने के लिए माकड्रिल भी करवाई जा चुकी है। ऊना नगर जनहित मोर्चा के प्रधान राजीव भनोट ने कहा है कि क्षेत्रीय अस्पताल ऊना मंें हर रोज सैकड़ों लोग अपना चैकअप करवाने के लिए आते हैं। वार्डों में उपचाराधीन रोगी भी हैं। अस्पताल में चौबीस घंटे जनता के लिए आपात सेवाएं हैं। ऐसी स्थिति में जनता को सुरक्षित रखने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिएं, ताकि आग सहित अन्य आपदाओं से समय पर निपटा जा सके। अग्निशमन केंद्र ऊना के प्रभारी भूपेंद्र पाल डोगरा ने कहा है कि क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में आग सहित अन्य आपदाओं से निपटने के प्रबंध

नाकाफी हैं।






source: DivyaHimachal

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