रेल के खेल में फिर ठगा हिमाचल

उम्मीदों के ट्रैक पर हिमाचल की हसरतें आश्वासनों और सर्वेक्षणों में उलझ गईं। नई दिल्ली में जब रेल मंत्री पवन बंसल ने बजट भाषण पढ़ना शुरू किया तो लगा कि अब पहाड़ तेजी से छुक-छुक करेगा, लेकिन कांग्रेस का मंत्री कांग्रेस शासित राज्य को ही छका गया। हालांकि तीन नई रेल लाइनों अंब-कांगड़ा वाया नादौन, बद्दी-बिलासपुर और धर्मशाला-पालमपुर के सर्वे पर पहाड़वासियों में थोड़ी खुशी है, लेकिन देश की सुरक्षा के लिए सबसे अहम मनाली-लेह रेल ट्रैक का क्या होगा। रुसवा होते उद्योगों का क्या होगा और कैसे आएगा पर्यटन में निखार, इसके लिए अब राज्य सरकार को सोचना होगा। यानी कुछ घोषणाओं को छोड़ दें तो हिमाचल के हिस्सों में फिर से वही सपनों की पुरानी रेल दौड़ती दिख रही है, जिसकी परिकल्पना पिछले 35 वर्षों से की जा रही है।



शिमला —यूपीए में कांग्रेस के रेल मंत्री होने का लाभ भी कांग्रेस शासित हिमाचल को ज्यादा नहीं मिल पाया है। केंद्रीय रेल मंत्री पवन बंसल सिवाय कोरे आश्वासनों के हिमाचल को कोई ऐसा बड़ा प्रभावशाली ऐलान बजट में नहीं कर सके हैं, जिससे कांग्रेस शासित राज्य खुशी से झूम सके। हालांकि बिलासपुर-मनाली-लेह को सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण मानते हुए इसे स्वीकृत करने का ठोस आश्वासन बजट में दिया गया है। यही नहीं, हफ्ते में एक दिन जो एक्सप्रेस ट्रेन ऊना से होते हुए महाराष्ट्र के नांदेड़ तक दौड़ेगी, उसे व्यवसायी व पर्यटक एक अच्छी सहूलियत मान रहे हैं। यही नहीं, चक्की से भड़ोली (ऊना) रेललाइन के दोहरीकरण और विद्युतीकरण का भी ऐलान हुआ है। इससे इस क्षेत्र को न केवल आधुनिकीकरण का लाभ मिल सकता है, बल्कि सुविधाएं भी बढ़ेंगी। इन कुछ घोषणाओं को छोड़ दें तो हिमाचल के हिस्सों में फिर से वही सपनों की पुरानी रेल दौड़ती हुई दिख रही है, जिसकी परिकल्पना पिछले 35 वर्षों से की जा रही है। बिलासपुर-मनाली-लेह जो सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माना गया है, उस पर केंद्रीय रेल मंत्री ने महज यही टिप्पणी की है कि वह इसे स्वीकृत करेंगे। पठानकोट और शिमला में रेल संबंधी टे्रड्स में युवाओं को दक्ष बनाने के लिए योजनाएं चलाएंगे। जाहिर है इसका लाभ युवाओं के एक बड़े वर्ग को मिल सकता है। संसद में मंगलवार को पेश किए गए रेल बजट के दौरान हिमाचल के जिम्मे फिर से नए सर्वे आए हैं। केंद्रीय रेल मंत्री ने 2013-14 में नादौन के रास्ते अंब-कांगड़ा, बद्दी और बिलासपुर, धर्मशाला-पालमपुर के सर्वेक्षणों का ऐलान किया है। आने वाले वर्षों में यदि इनके लिए बजट भी पर्याप्त मिलता है तो पर्यटन व व्यवसाय की दृष्टि से यह कारगर साबित हो सकती हैं। भानुपल्ली-बिलासपुर रेल योजना के लिए अपेक्षाओं के अनुरूप कोई बड़ा ऐलान नहीं हो सका है। अलबत्ता इसे सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण मानते हुए जल्द मंजूर करने की घोषणा जरूरी हुई है। प्रदेश में औद्योगीकरण के लिए चंडीगढ़ से बद्दी या फिर बद्दी से कालका के लिए योजनाएं सुझाई जा रही थीं, जिन पर भी रेल मंत्रालय ने झुनझुना थमा दिया है।




लालीपॉप योजनाएं



घनौली-देहरादून वाया नालागढ़-बद्दी बरोटीवाला वाया सुरजपूर-कालाअंब-पांवटा साहिब (267 किलोमीटर), जिसे 2011-12 में सर्वेक्षण के लिए रखा गया था, उसमें भी 2013-14 के लिए किसी भी तरह के बजट का प्रावधान नहीं किया गया है, जबकि 2012-13 में इसके लिए लगभग छह लाख रुपए परिव्यय के रूप में निर्धारित थे।


परवाणू-दाड़लाघाट के लिए सर्वेक्षण में छह लाख 40 हजार का ही प्रावधान किया गया है।



एक दशक में सर्वे



केंद्र ने कभी घनौली-नालागढ़-बद्दी-पिंजौर को रेल लाइन से जोड़ने के लिए सर्वेक्षण करवाया तो कभी घनौली-बीबीएन-सूरजपूर-कालाअंब-पांवटा साहिब-देहरादून तक रेल लाइन बिछाने को सांकेतिक मंजूरी दी थी, लेकिन हर बार इन औद्योगिक क्षेत्रों को रेल लिंक से जोड़ने की उम्मीदें केंद्र के रवैये से धराशायी होती रही हैं।



ग्रीन सिग्नल नहीं



186 किलोमीटर लंबी घनौली-देहरादून ब्राडगेज रेल लाइन का सर्वे एक दफा पूरा हो चुका है। उस दौरान इस ब्राडगेज रेल लाइन पर 3745 करोड़ 62 लाख रुपए की अनुमानित लागत आंकी गई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इस परियोजना को ग्रीन सिग्नल नहीं दिया।



तब भी दगाबाजी



यही नहीं, बद्दी से कालका के बीच में बड़ी रेल लाइन के लिए सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी मंत्रालय को सौंपी गई। सर्वेक्षण के मुताबिक इस रेलवे लाइन के निर्माण पर 385.75 करोड़ रुपए की लागत आंकी गई थी, लेकिन उस पर भी कुछ नहीं हुआ।



अंब-अंदौरा विद्युतीकरण ठंडे बस्ते में



ऊना — देश की लाइफ लाइन माने जानी वाली भारतीय रेल एक बार फिर से पहाड़ पर हांफ गई। नंगल-ऊना-तलवाड़ा लाइन को समयबद्ध पूरा करने के लिए एकमुश्त बजट का कोई प्रावधान नहीं हुआ। ऊना से आगे अंब-अंदौरा रेल सेक्शन के विद्युतीकरण का प्रोपोजल भी ठंडे बस्ते में रहा। रेल मंत्री ने एक बार फिर से नंगल से चलने वाली तमाम अन्य रेल सेवाओं को ऊना से शुरू करने की क्षेत्रवासियों की मांग को अनसुना कर दिया। जोगिंद्रनगर-पठानकोट लाइन को ब्राडगेज करने, बद्दी को रेल लिंक से जोड़ने की उम्मीदें भी टूट गईं।






source: DivyaHimachal

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