काजा — बर्फीले रेगीस्तान काजा के लोसर में फंसे बीआरओ के जवानों की मदद के लिए गांववासियों ने हाथ बढ़ा दिए हैं। बर्फ में फंसे बीआरओ के बुलडोजरों को डीजल भी मिल गया है। ग्रामीणों द्वारा बीआरओ के यह डीजल उपलब्ध करवाया गया है। अब लोसर से काजा मार्ग शीघ्रता से खुलने की उम्मीदें जाग उठी हैं। हड्डियों को जमा देने वाली इस ठंड में जवान एक बार फिर सड़क मार्ग को खोलने के लिए प्रयास करने में जुट चुके हैं। बताते चलें कि ग्रामीणों द्वारा जवानों को इतना राशन उपलब्ध करवा दिया गया है कि उनका कम से कम डेढ़ महीने का समय आराम से बीत जाएगा। बीआरओ के बुलडोजरों के लिए भी अब डीजल की कमी नहीं पड़गी। सड़कें बंद होने से लोसर में खड़े वाहनों के लिए जमा किए गए डीजल से अब बीआरओ का बुलडोजर चलेगा, जिससे लोसर सहित करीब डे़ढ दर्जन गांव के अस्त-व्यस्त जनजीवन को पटरी पर लाने का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके साथ ही बर्फीले रेगिस्तान की जानलेवा परिस्थितियों में फंसे बीआरओ के जवानों के प्रति लोसर के ग्रामीणों ने सेवाभावना की एक मिसाल कायम की है। लोसर के पूर्व प्रधान जांगचुक ने बताया कि बीआरओ के छह जवान लोसर से लेकर काजा तक 56 किमी लंबे सड़क मार्ग को यातायात के लिए बहाल करने में जुटे हैं। इसके लिए बीआरओ द्वारा लोसर में एक डैट स्थापित किया गया है। भारी बर्फबारी से बीआरओ की सप्लाई लोसर के डैट तक न पहुंचने से बीआरओ के जवानों को भूखे मरने की नौबत आ गई थी। उनके पास इंधन भी खत्म हो जाने से वे भयंकर ठंड़ में ठिठुर रहे थे। ऐसे में लोसर के गांववासियों ने उनके लिए सभी चीजों की व्यवस्था कर दी है। लोसर में बीआरओ के डैट इंचार्ज एमपी राखुंडे ने बताया कि वह अपने सहयोगियों सहित इस बर्फीले रेगिस्तान में बड़ी आफत में फंस गए हैं, लेकिन गांववासी उनके लिए फरिश्ता बनकर आ गए हैं। विपत्ति की इस घड़ी में ग्रामीणों ने उन्हें अपने परिवार के सदस्यों की भांति भरपूर प्यार दिया है। यह उपकार वह ताउम्र नहीं भूल पाएंगे।
source: DivyaHimachal
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