13 वर्ष बीत जाने के बाद भी एसएमसी शिक्षकों के लिए नहीं बनी कोई स्थाई पॉलिसी

हिमाचल में एसएमसी से शिक्षकों की भर्ती प्रो. प्रेमकुमार धूमल की सरकार में शुरू हुई थी। धूमल सरकार ने साल 2011-12 में करीब 250 शिक्षकों को एसएमसी से प्रदेश के दुर्गम और दूरदराज क्षेत्रों के स्कूलों में नियुक्त किया था। पीटीए भर्तीयों से यह एसएमसी भर्तियां बेहतर मानी गई थी क्योंकि इन भर्तियों के नियम और आर्हताएं पीटीए से स्पष्ट थी और शैक्षणिक योग्ताओं को पूरा करती थी। इनकी नियुक्तियां SDM की अध्यक्षता में बनी कमेटी द्वारा किया गया था। मेरिट के आधार पर उनकी नियुक्तियां हुई । एसएमसी शिक्षकों को प्रदेश के दुर्गम और दूरदराज क्षेत्रों के स्कूलों में नियुक्त किया था। 

सत्ता परिवर्तन होने पर कांग्रेस सरकार ने 2014-17 में करीब 2100 शिक्षकों की भर्ती कर इस प्रथा को कायम रखा। फिर सत्ता बदलने पर जयराम सरकार ने 2018 में 250 शिक्षक भर्ती किए। 
वर्तमान में 2500 से अधिक शिक्षक वर्षों से नियमित करने के लिए सरकार से नीति बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने इन्हें नियमित नहीं किया। नियमितिकरण के लिए जयराम सरकार ने एक हाई पावर कमेटी का गठन भी किया था लेकिन उसका कोई भी परिणाम सामने नहीं आ पाया। 

सुक्खू सरकार ने भी एसएमसी शिक्षकों की समस्याओं और मांगों को देखते हुए ही शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी की गठन किया है। इस कमेटी में मंत्री अनिरुद्ध सिंह और विक्रमादित्य सिंह भी शामिल हैं। लेकिन आज तक इस सब कमेटी की एक भी बैठक आयोजित नहीं की गई और एसएमसी शिक्षक अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहें हैं। 


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