शिमला का रण…जीते हैं, शान से

शिमला — शिमला जिला की आठ सीटों पर प्रत्याशियों की जीत-हार का आंकड़ा कम नहीं रहा, जहां पर भी जो भी जीता वो अच्छे बड़े मार्जिन से जीता, जिससे साफ है कि लोगों ने उन पर खुलकर विश्वास जताया है। माना जा रहा था कि जिला की सभी सीटों पर प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला रहेगा, परंतु यहां कांटे की टक्कर नहीं रही। जो प्रत्याशी अपने विरोधी से शुरुआत से आगे रहा वो अंत तक आगे ही रहा, जिसके बीच में किसी भी तरह का कोई संशय नहीं बचा। फिलहाल यहां जीतने वाले तो अभी जीत के जश्न में डूबे हैं, परंतु हारने वाले अपनी हार का आकलन करने में लगे हैं। वह आकलन कर रहे हैं कि कहां से उनको वोट कम मिले और क्यों कम मिले। शिमला जिला में कांग्रेस को चार सीटों पर जीत मिली है, जबकि भाजपा ने उसके गढ़ में सेंधमारी करते हुए तीन सीटों पर जीत हासिल की। वहीं माकपा ने भी एक सीट पर जीत हासिल की है। शिमला जिला की सभी विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो यहां प्रत्याशियों के दलों से अलग उनके चेहरे और व्यक्तिगत छवि पर लोगों ने मतदान किया है। प्रत्याशियों की जीत-हार के मार्जिन पर बात करें तो चौपाल में कांग्रेस लगातार तीन दफा हार गई है और इस दफा भी यहां कांग्रेस की हार 4407 मतों के अंतर से हुई। यह आंकड़ा कम नहीं है लिहाजा इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस विधानसभा क्षेत्र में क्या समीकरण थे। यहां व्यक्तिगत छवि का ज्यादा रुझान देखा गया है। इसी तरह से ठियोग, जहां पर कांटे का मुकाबला भाजपा और माकपा के बीच माना जा रहा था वहां पर माकपा की जीत का मार्जिन 1983 का रहा है। यह आंकड़ा भी कम नहीं माना जा सकता, जबकि यहां पर कई तरह के मुद्दे थे। इस क्षेत्र में मुद्दों की सियासत में माकपा जीती है ऐसा माना जा रहा है। कुसुम्पटी विधानसभा में मुद्दों की जगह व्यक्तिगत छवि को वोट पड़ा बताया जाता है, जिसके चलते यहां जीत का अंतर 9397 का रहा है। यहां लोग पहले से मन बना चुके थे, जिन्होंने कांग्रेस पर दोबारा से विश्वास जताया। यहां पर तिकोना मुकाबला एक तरफा हो गया। शिमला शहर में भी राजनीतिक समीकरण सबसे अलग थे। यहां कांग्रेस को उसके बागी ने ही बड़ा नुकसान पहुंचाया। राजनीतिक पंडितों के अनुसार शिमला शहर में यदि कांगे्रेस व भाजपा में सीधा मुकाबला होता तो नतीजे बदल सकते थे, लेकिन यहां पर भाजपा की लीड 1903 मतों की है और दूसरे नंबर पर कांग्रेस नहीं बल्कि कांग्रेस के बागी रहे। शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में भी व्यक्ति विशेष को लोगों ने अधिमान दिया है। यहां पर कांग्रेस की जीत का मार्जिन 4880 मतों का रहा है, जो कि बड़ा मार्जिन था। बहरहाल इन विधानसभा चुनावों में शिमला जिला में जो भी जीता, शान से जीता। कहीं कोई भी नजदीकी और कांटे का मुकाबला नहीं हुआ।

जुब्बल-कोटखाई इस बार भाजपा का

जुब्बल- कोटखाई में दोनों दलों में सीधा मुकाबला था और इस क्षेत्र में कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के जीतने की रिवायत कई साल से चल रही है। यही रिवायत इस दफा भी चली और यहां के मतदाता सत्ता के साथ चले। यहां भाजपा की जीत का मार्जिन 1062 का रहा है। रामपुर और रोहडू कांग्रेस के गढ़ हैं और ये दोनों गढ़ इस दफा भी कायम रहे हैं। यहां के लोग शुरुआत से ही कांग्रेस के साथ चलते हैं लिहाजा यहां पर कांग्रेस की जीत का आंकड़ा भी ज्यादा है।

सीधी टक्कर

शिमला ग्रामीण में कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला था। एक तरफ मुख्यमंत्री के पुत्र चुनाव मैदान में थे और दूसरी तरफ पुराने राजनीतिक धुरंधर। ऐसे में लोगों ने मुख्यमंत्री के पुत्र का साथ देकर वीरभद्र सिंह का मान बढ़ाया।

रोहड़ू में साढ़े नौ हजार से जीती कांग्रेस

रामपुर में कांग्रेस की जीत का आंकड़ा  4037 मतों का रहा है और भाजपा इसके नजदीक नहीं आ सकी। इसी तरह से रोहडू में कांग्रेस की जीत का आंकड़ा 9408 तक पहुंच गया। हालांकि लोकसभा चुनाव में यहां पर कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ था परंतु  विधानसभा में उसने बढ़त को कायम रखा है। हालांकि कांग्रेस का मार्जिन पिछले विधानसभा के मुकाबले काफी ज्यादा कम हुआ है, जो कि उसके लिए चिंता का विषय है क्योंकि पिछली बार यहां से कांग्रेस का प्रत्याशी 25 हजार से भी अधिक मतों से जीता था।


^पूरी खबर पढ़े: source - DivyaHimachal

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