दूरबीन से छह सफल आपरेशन

शिमला  —  केएनएच में पहली बार लैप्रोस्कोपी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एक दिन के भीतर छह सफल आपरेशन किए गए। इस तकनीक में आपरेशन दूरबीन का इस्तेमाल कर किए जाते हैं। केएनएच गायनी विभाग की अध्यक्ष डाक्टर ममता पॉल ने बताया कि इस तकनीक का इस्तेमाल पहली बार किया गया है। उन्होंने बताया कि इसके लिए दूसरे राज्यों से विशेष तौर पर गायनी विशेषज्ञ केएनएच पहुंचे थे। इस मौके पर नई दिल्ली के से वरिष्ठ लैप्रोस्कोपी गायनी सर्जन डा. निकिता त्रेहन ने बताया अब लैप्रोस्कोपी का उपयोग करके प्रारंभिक अवस्था ग्रीवा कैंसर को पूरी तरह से दूर करना संभव है। उन्होंने बताया कि पहले रेडिकल हिस्टेरेक्टिमी की गई, जिसमें लैप्रोस्कोपी का उपयोग करते हुए नोड्स तथा आसपास के उतकों को सफलतापूर्वक हटाया गया। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह ओपन सर्जरी की तुलना में कैंसर को पूरी तरह से बेहतर तरीके से हटाती है। सरवाइकल कैंसर भारत में महिलाओं को होने वाला सबसे आम कैंसर है। चिकित्सकों ने बताया कि कैंसर के अलावाए फाइब्रॉएड भी महिलाओं की सामान्य समस्या बन गई है। इसके कारण कई समस्याएं होती हैं, जिनमें प्रमुख हैं मासिक धर्म के दौरान बहुत अधिक रक्त स्राव,  पेट में दर्द, बार.बार मूत्र त्याग, पूरी तरह से शौच नहीं होना । लैप्रोस्कोपी गायनी सर्जन डा. सुचेता  के मुताबिक आम तौर पर फाइब्रॉएड को हटाने के कुछ साल बाद यह दोबारा हो जाता है। डा. निकिता त्रेहन ने कहा कि लैप्रोस्कोपी इनसेरक्लेज नामक नई तकनीक के आगमन से ऐसी महिलाओं में 99 प्रतिशत सफलता मिलने की उम्मीद जगी है, जिनका बार-बार गर्भपात हो जाता है। यह प्रक्रिया उन महिलाओं पर की जाती है, जिन्हें गर्भावस्था के बीच में ही गर्भपात हो जाता है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर उपयोग में लाए जाने वाले वेजाइनल सेरकलेज प्रक्रिया गर्भपात को रोकने में पर्याप्त रूप से कारगर नहीं है, जबकि लैप्रोस्कोपी सरवाइकल सेरकलेज की नर्ह तकनीक अधिक  कारगर है।


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