शिमला – पिछली बार पीलिया के प्रकोप से सबक लेते हुए शहरी विकास विभाग ने इस बार नगर निगम को पहले से अलर्ट रहने के निर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही शहर के सभी वार्डों के पब्लिक टेप से पानी के सैंपल लेने के निर्देश भी जारी किए गए थे और इस 31 मई तक सैंपल की जांच रिपोर्ट अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेजने को कहा गया था, लेकिन इस तिथि के दो सप्ताह बाद भी नगर निगम ने यह रिपोर्ट विभाग को नहीं भेजी है। इसके देखते हुए विभाग की ओर से नगर निगम को रिपोर्ट भेजने के लिए रिमाइंडर भेजा गया है। विभिन्न वार्डों में करीब 80 टैप से यह सैंपल लेने को कहा गया था। शिमला में दिसंबर 2015 व जनवरी 2016 में फैले पीलिया ने 19 लोगों की जान ले ली थी और करीब दो हजार लोग पीलिया की चपेट में गए थे। पीलिया फैलने का कारण अश्विनी खड्ड के पानी में सीवरेज का मिलना था। उस दौरान भी अगर नियमित तौर पर सैंपलिंग होती तो मामला इतना गंभीर नहीं होता, लेकिन न तो आईपीएच और न ही नगर निगम ने सैंपलिंग की जहमत उठाई। इसके चलते हजारों लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। अब अश्विनी खड्ड की मुख्य परियोजना से पानी की सप्लाई पिछले करीब डेढ़ साल से बंद है, लेकिन इस बार शहरी विकास विभाग इस मामले में पहले से तैयारियों मेंद जुट गया है। इसलिए सभी टैप से नए सिरे से फ्रेश सैंपल लेने को कहा गया था। दिसंबर-जनवरी में पीलिया का कारण हैपेटाइटिस ई रहा। ई और ए दोनों की संक्रमित पानी खासकर सीवरेज मिले पानी के सेवन से होता है। जबकि बी, सी और डी ब्लड इन्फेक्शन के कारण होता है।
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^पूरी खबर पढ़े: source - DivyaHimachal
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