कुल्लू — सदियों पुराने सिल्ट रूट को फिर से खोलने के चीनी प्रस्ताव पर सवाल उठने लगे हैं। ड्रैगन की इस मंशा पर संदेह जताया जा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस स्तर पर भारत को काफी सतर्क रहना होगा। आशंका जाहिर की जा रही है कि वर्ष 1955 से बंद पड़े रेशम मार्ग को बहाल करने की पेशकश के पीछे ड्रैगन के अपने आर्थिक हित हो सकते हैं। तिब्बत और नेपाल के रास्ते चीन पहले ही भारतीय बाजार में अपना दबदबा कायम करने की कोशिशों में जुटा है। ऐसे में सिल्ट रूट खुलता है, तो आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को चीन से और कड़ी चुनौती मिलेगी। सिल्ट रूट के जरिए चीन अपने घटिया माल को भारतीय बाजार में झोंक देगा, जबकि वर्तमान परिपे्रक्ष्य में भारत को सिल्ट रूट की बहाली से कोई ज्यादा लाभ दिखता नजर नहीं आ रहा है। अलबत्ता हिमाचल में निर्वासित तिब्बती सरकार और आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा की सुरक्षा को लेकर नई चिंता ही उत्पन्न होगी। लिहाजा चीन के विदेश मंत्री वांग यी द्वारा नेशनल पीपल्स कांग्रेस में रखे गए प्रस्ताव का भारत में विरोध एकाएक तेज हो गया है। पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल के बाद अब भारतीय इतिहास संकलन समिति के नुमाइंदे भी सिल्ट रूट खोलने की चीनी पेशकश पर विरोध जता रहे हैं।
from Divya Himachal
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