2164 कैदी नहीं कर पाएंगे मतदान

शिमला — हिमाचल में इस बार भी जेलों में बंद 2164 कैदी मतदान नहीं कर सकेंगे। पुलिस कस्टडी व न्यायिक हिरासत वाले अपराधियों को भी मतदान से वंचित रहना पड़ेगा। कानूनविद की मानें तो नियमों की पेचीदगियों के कारण कैदियों को मतदान का अधिकार नहीं दिया जा सका है। हालांकि राज्य सरकार ने कैदियों के मतदान अधिकार को लेकर प्रयास भी किया था, लेकिन चुनाव आयोग ने मना कर दिया। हैरत की बात है कि राज्य की जेलों में बंद एक भी कैदी देशद्रोही नहीं है। बावजूद इसके कैदियों को मतदान का अधिकार नहीं दिया जा सका है। लोकतांत्रिक प्रणाली में किसी भी नागरिक से मत का अधिकार नहीं छीना जा सकता। मौलिक अधिकारों में मत का प्रयोग करना हरेक नागरिक का अपना सुरक्षित अधिकार होता है। यह पहला मौका नहीं है कि हिमाचल में कैदी मतदान से वंचित रखे जाएंगे, बल्कि अब तक के इतिहास में कैदियों के मतदान को लेकर न पहल की गई है और न ही जेलों में पोलिंग बूथ व कैदियों के लिए पोस्टल बैलेट पेपर की व्यवस्था की जा सकी है। ताकि जेलों में बंद कैदी मतदान कर सके। चौंकाने वाली बात यह है कि बिहार व उत्तर प्रदेश में कई हत्या के आरोप में बंद सजायाफ्ता कैदी चुनावी जंगल में कूदते रहे हैं। कानूनविद की मानें तो जेलों में बंद कैदियों को मतदान से वंचित नहीं रखा जा सकता। बावजूद इसके भी राज्य की जेलों में बंद 2164 कैदी मतदान से वंचित रह जाएंगे। प्रदेश में कुल 12 जेलों में 2164 कैदी सजा भुगत रहे हैं, इनमें 2097 पुरुष कैदी व 67 महिला कैदी हैं।






from Divya Himachal

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