अनिल शर्मा, चंबा
एक समय था जब इंसान मवेशियों को अपने परिवार का सदस्य मान कर उनका भरण-पोषण करता था। जबकि बदले में मवेशी भी इंसानों के व्यवहार के बदले में उन्हें काफी कुछ देते रहे हैं। लेकिन जैसे-जैसे समय बदला लोगों ने अपने काम धंधे बदल लिए और समय के इस फेर में पीछे रह गए आवारा कहे जाने वाले पशु, जिनका अब कोई भी मालिक नहीं है।
चंबा जिले में मौजूदा समय में आवारा पशुओं की संख्या इस कदर बढ़ चुकी है, कि कोई चाह कर भी मौजूदा समय में इससे छुटकारा नहीं पा सकता है। क्योंकि जहां यह आवारा
source: Jagran
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