शिमला — हिल्सक्वीन में होटल में कमरों के दाम आसमान छू रहे हैं, मगर इसकी एवज में सरकार को पूरा टैक्स नहीं आ रहा है। न केवल कई होटल मालिक बिना पंजीकरण यहां काम कर रहे हैं, वहीं लग्जरी टैक्स को भी चुकता नहीं कर रहे। सरकार को बड़ी चंपत लगाई जा रही है, क्योंकि जिस कमरे का रेट वर्ष 1998 में अप्रूव किया गया है, उसे दोबारा से री-अपू्रव नहीं किया गया। लिहाजा होटल मालिक को 300 रुपए का कमरा 3500 रुपए में देकर कमाई कर रहे हैं, मगर सरकार को टैक्स का नुकसान हो रहा है। शिमला में ऐसे कई होटल हैं, जिन्होंने पर्यटन विभाग से कई साल पहले कमरों के रेट अप्रूव करवाए थे और उसी दाम पर सरकार को टैक्स भी दे रहे हैं। मगर मौके पर इन कमरों का मूल्य काफी ज्यादा वसूला जा रहा है। इससे शिमला में आने वाले पर्यटकों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि उनसे भारी भरकम किराया वसूल किया जा रहा है। जिला प्रशासन इस तरह की कार्रवाई पर लगाम लगाने में असफल रहा है। आबकारी एवं कराधान महकमे ने ऐसे होटलों को अपनी जद में लिया है और पर्यटन महकमे को भी इनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। सूत्रों के अनुसार इन होटल मालिकों को दोबारा से पंजीकरण व कमरों के रेट अप्रूव करवाने के लिए कहा गया है। यहां बता दें कि 159 होटलों में से सात होटल शहर में ऐसे पाए गए हैं, जिनका पंजीकरण ही नहीं है। यही नहीं, कम कमरों का पंजीकरण करवाकर अधिक कमरों का इस्तेमाल कर भी चोखी कमाई कर रहे हैं और इसका भी सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ रहा है। आबकारी कराधान महकमे ने अलग से टीमों का गठन भी कर दिया है, जो शिमला ही नहीं, बल्कि प्रदेश के दूसरे पर्यटक स्थलों में ऐसे होटलों की छानबीन करेगी। यही नहीं, पर्यटन विभाग भी इस मामले में सतर्क हो गया है। शिमला के अलावा यहां के साथ लगते पर्यटक क्षेत्रों में मौजूद होटलों पर दबिश दी जाएगी, जिनका पूरा रिकार्ड आबकारी विभाग लेगा। अतिरिक्त आबकारी आयुक्त डीसी नेगी ने कहा कि सरकारी खजाने को चूना नहीं लगने दिया जाएगा और ऐसे लोगों पर सख्ती के साथ कार्रवाई की जाएगी।
source: DivyaHimachal
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