चार महिलाओं का उजड़ गया सुहाग

नाहन — संगड़ाह उपमंडल की ग्राम पंचायत भराड़ी के गांव पुन्नरधार की वंदना व कौशल्या ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिसके साथ उन्होंने सात जन्मों तक जीने मरने की कसमें खाई थीं, वह पति उन्हें बीच मझधार में ही छोड़कर चले जाएंगे। शुक्रवार को पुन्नरधार के भराड़ी में हुए सड़क हादसे में कौशल्या व वंदना का सुहाग उजड़ गया। कौशल्या को जहां पूरी जिंदगी बिना साथी के ही गुजारनी पड़ेगी, वहीं उसके सिर पर तीन बच्चों के लालन-पालन का जिम्मा भी है। पुन्नरधार के भराड़ी मार्ग पर हुए बस हादसे में मारे गए 34 वर्षीय रमेश के परिवार पर मानो दुखों का पहाड़ टूट गया हो। शुक्रवार को जैसे ही सड़क हादसे की खबर पुन्नरधार व भराड़ी के लोगों को पहुंची तो क्षेत्र में मातम सा छा गया। हादसे में पुन्नरधार के मारे गए बलवंत उर्फ रिंकू की पत्नी वंदना ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सात जन्मों तक साथ निभाने वाला पति उसे दो वर्ष में ही अकेला छोड़ जाएगा। रिंकू की दस माह की बेटी गुडि़या को अभी यह भी नहीं पता कि उसके सिर से पिता का साया उठ गया है। सड़क हादसे में मारे गए भराड़ी के हरिचंद अपनी पत्नी मथरा व दो बेटों तथा एक बेटी को छोड़कर लालन-पालन का जिम्मा पत्नी पर डाल गया है। हादसे में मारे गए भराड़ी के रामानंद की विधवा पत्नी कमला के सिर पर मानों मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है। कमला जहां भरे यौवन में विधवा हो गई है, वहीं उसके सिर पर पांच बच्चों के देखभाल का जिम्मा भी है। इस हादसे में पुन्नरधार के रमेश की पत्नी कौशल्या के तीनों बेटे पांच वर्षीय मोहित, सात वर्षीय रोहित व दो वर्षीय बब्बू को अभी यह पता नहीं कि अब उनको लाड़-प्यार करने वाला पिता इस दुनिया में नहीं रहा है।






source: DivyaHimachal

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