बुढ़ापे की लाठी ही दे रही दर्द

मनजीत नेगी, शिमला


शिमला का एक अफसर बेटा सेवानिवृत्त बुजुर्ग पिता को दिनभर की व्यस्तता के चलते अपने साथ कतई नहीं रखना चाहता। वह बूढ़े हो चुके पिता को वृद्धाश्रम में रखकर किसी भी कीमत पर उनसे छुटकारा चाह रहा है। दूसरी ओर सचिवालय में कार्यरत एक बाबू अपनी बूढ़ी मां को छोटे आधुनिक परिवार और कमाई में समायोजन न होने के चलते साथ नहीं रखेगा। कांगड़ा का एक बेटा अपने माता-पिता को ऐसे ओल्डएज होम से वापसी के लिए साफ इन्कार कर रहा है। ऐसे उदाहरण यहां आम हो रहे है। बुजुर्गो को गाली-गलौज, अभद्रता और अ



source: Jagran

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