कहीं स्ट्रेचर नहीं, कहीं स्टे्रचर पर मरीज


टीएमसी — मरीजों को हर सुविधा देने की बात टीएमसी में बेमानी ही साबित हो रही है। यहां आलम यह है कि एक ओर मरीजों को स्ट्रेचर नहीं मिल रहे, तो दूसरी ओर वार्डों में मरीजों को स्टे्रचर पर ही सुलाया जा रहा है। अब इसे प्रशासनिक लापरवाही कहें या अनदेखी की स्टोर में स्ट्रेचर होने के बावजूद केवल 20 स्टे्रचरों के सहारे सैकड़ों मरीजों को छोड़ दिया जा रहा है। टांडा मेडिकल कालेज में अब स्थिति यह है कि एक ओर जहां नए स्टे्रचरों पर सिलेंडर ढोए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर टूटे-फूटे स्ट्रेचरों पर मरीजों को सुलाया जा रहा है। अस्पताल के गायनी वार्ड में यह नजारा आम देखा जा सकता है। वहां पर पहले ही एक-एक बेड पर दो-दो मरीज हैं, तो जिनको बेड नहीं मिलते वे स्टे्रचर पर ही सोने को मजबूर हैं। दूसरी ओर शनिवार को इसी वार्ड में दाखिल एक महिला को जब प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तो स्टे्रचर न होने के कारण उसे कंधों के सहारे लेवर रूम तक पहुंचाया गया। चौंकाने वाली बात तो यह है कि पूरे अस्पताल में केवल 23 स्टे्रचर हैं, जिनमें से तीन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं। स्टे्रचर होने के बावजूद टीएमसी प्रशासन पुराने स्ट्रेचरों के सहारे ही गाड़ी खींच रहा है। टीएमसी में बेड की कमी है, तो स्टे्रचर पर ही मरीज को सुला दिया जा रहा है, जबकि दूसरी ओर इमर्जेंसी में आने वाले मरीजों को स्टे्रचर नसीब नहीं हो रहे हैं तथा कंधों के सहारे ही उनको उठाकर वार्डों तक ले जाया जा रहा है। हालांकि टीएमसी प्रशासन की मानें तो स्टे्रचर को ठीक करवाने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन यहां यह प्रश्न बनता है कि स्टोर में पड़े स्टे्रचर किस लिए रखे गए हैं और नए स्टे्रचर पर सिलेंडर किस आधार पर ढोए जा रहे हैं। इस बारे में अस्पताल के एमसी डा.दिनेश सूद ने बताया कि स्टे्रचर को रिपेयर करने के आदेश दिए गए हैं।







source: DivyaHimachal

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