संजौली — शिमला के उपनगर संजौली में 45 हजार आबादी है, जिसमें 26 हजार के करीब युवा हैं, लेकिन इन युवाओं को खेलने व व्यायाम करने के लिए एक भी खेल मैदान नहीं है, जिसके चलते मजबूरन युवा पीढ़ी चारदीवारी में कैद होकर रह गई है। इतना ही नहीं खेल मैदान की कमी के चलते जहां युवा पीढ़ी को टीवी और वीडियो गेम्स से दोस्ती करनी पड़ रही है, वहीं अधिकतर युवा खेल सुविधाओं के अभाव के कारण तनाव की स्थिति में नशे की गिरफ्त में भी फंसते जा रहे हैं। संजौली की आबादी का 50 प्रतिशत यूथ हैं, जो स्कूलों व कालेजों में अध्ययनरत है, लेकिन इन युवाओं को संजौली में खेलने के लिए पर्याप्त जगह का अभाव है, जिसके कारण मजबूरन इन युवाओं को घर की दीवारों पर गेंद को लटका कर क्रिकेट खेल का जुनून पूरा करते हुए देखा जा सकता है। इन दिनों जहां देश भर में आईपीएल टूर्नामेंट का जुनून हर युवा वर्ग के सिर चढ़कर बोल रहा है। वहीं संजौली में युवओं को घरों की गलियों के बीच और दीवारों के सहारे रस्सी लटकाकर अपना किके्रट जुनून पूरा करना पड़ रहा है। संजौली के सारिक का कहना है कि संजौली में खेल मैदान की कमी है। शहरीकरण की रफ्तार में संजौली कंकरीट के जंगल में तबदील हो गया है। ऐसे में युवाओं को व्यायाम व खेल के लिए कुछ गज जगह भी नहीं बची है, जिसके कारण युवा घरों में कैद हो गए हैं। बबलू का कहना है कि संजौली में खेल मैदानों की कमी के चलते युवा वर्ग तनाव ग्रस्त होने लग गया है। खेल गतिविधियों के लिए जगह कम होने की वजह से युवा नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। चलौटी के प्रमोद कुमार का कहना है कि संजौली सहित निकटवर्ती क्षेत्रों में खेल मैदान की भारी कमी है। इक्का-दुक्का जगह पर जहां खेल मैदान हैं, वहां पर बड़े युवा खेलते रहते हैं। ऐसी स्थिति में कम उम्र के बच्चों को खेलने के लिए जगह नहीं मिल पाती, जिससे उनके शारीरिक, मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ रहा है। जावेद का कहना है कि संजौली में खेल मैदान सहित पार्क की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण फुर्सत के पलों में न तो चंद पल सुकून से बैठने की जगह है और न ही तो युवाओं को सुबह-शाम खेलने के लिए मैदान है, जिससे युवा वर्ग तनावग्रस्त होने लग गया है।
source: DivyaHimachal
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