बिना किताबों के कैसे मिले ज्ञान


हमीरपुर — शिक्षा बोर्ड ने हर सरकारी व निजी विद्यालय में बोर्ड की ही किताबें पढ़ाने के जो दिशा-निर्देश दिए हैं, वे निर्देश अब बच्चों पर भारी पड़ना शुरू हो गए हैं। नए सत्र की कक्षाएं चले हुए एक माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन पांचवीं कक्षा के सिलेबस की कुछ किताबें नहीं मिलने से इन बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। बोर्ड ने जिला स्तर पर जो कार्यालय खोले हुए हैं, वहां पर किताबें नहीं मिलने के चलते यह समस्या काफी गंभीर रूप ले चुकी है। वहीं निजी बुक डिपो में भी यह किताबें नहीं मिल पा रही हैं। अध्यापक तो अपनी पढ़ाई चलाने के लिए कहीं न कहीं से किताब की व्यवस्था कर चुके हैं, लेकिन नन्हें बच्चे किताबों से महरूम हैं। ब्लैक बोर्ड पर अध्यापक क्या लिख रहे हैं, वह इन बच्चों के दिमाग से परे है। समस्या अधिकतर निजी स्कूलों में ही उत्पन्न हुई है। हमीरपुर में ऐसे दर्जनों निजी स्कूल हैं, जिनके प्रबंधक किताबों के लिए हर दिन हमीरपुर बोर्ड कार्यालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन वहां पर उन्हें मायूसी के जवाब मिल रहे हैं। ऐसे में हमीरपुर के नौनिहालों का भविष्य खतरे में पड़ चुका है। पांचवीं कक्षा के विद्यार्थी इस समय हिंदी व अंग्रेजी विषय की कुछ किताबों से वंचित हैं, जिनमें अंग्रेजी विषय की किताब प्रमुख बताई जा रही है। करीब डेढ़ माह से यह समस्या पैदा हुई है। बोर्ड ने जो किताबें भेजी थीं, वे डेढ़ माह पहले ही वितरित हो चुकी हैं। अब अगली खेप नहीं आने के पीछे क्या कारण हैं, यह तो पता नहीं चल सका, लेकिन निजी स्कूलों में पांचवीं कक्षा के विद्यार्थी किताबों से महरूम हैं। कुछ बच्चों के पास तो किताबें हैं, लेकिन कुछ स्कूल में बुत बनकर बैठने को मजबूर हैं। कई निजी स्कूलों में इसी हालात के चलते पढ़ाई प्रभावित हो रही है।







source: DivyaHimachal

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