15 हजार हेक्टेयर जमीन को सोना बनाएगी शाहनहर


धर्मशाला — एशिया की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना शाहनहर से फतेहपुर, इंदौरा और जवाली तहसील के 93 गांव की 15287 हेक्टेयर भूमि अब सोना उगलेगी और एक लाख से अधिक आबादी वाले इस क्षेत्र के किसान पर्याप्त सिंचाई की सुविधा मिलने पर नकदी फसलों एवं बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन करके आर्थिक तौर से सुदृढ़ बनेंगे। वर्षों से लंबित पड़ी शाहनहर परियोजना का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है और प्रदेश सरकार द्वारा शीघ्र ही इसका लोकार्पण करना प्रस्तावित है, जिसके फलस्वरूप इस नहर का निर्माण कार्य पूर्ण होने से इस क्षेत्र के लोगों के चेहरे पर नई रौनक आ गई है। शाहनहर के प्रथम चरण में 311 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी, जबकि पुनः तैयार किए गए प्राक्कलन के अनुसार केंद्र सरकार ने 387 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध करवाई, ताकि लंबित पड़े इस परियोजना के निर्माण कार्य को पूर्ण किया जा सके। इस महत्त्वकांक्षी परियोजना के अंतर्गत इंदौरा तथा फतेहपुर तहसील के ब्यास नदी के किनारे 93 गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के दृष्टिगत चार अगस्त, 1983 को हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब सरकार के मध्य हुए समझौते के फलस्वरूप शाहनहर सिंचाई परियोजना बनाने का निर्णय हुआ था, जिसमें प्रथम चरण में इस परियोजना की 143 करोड़ रुपए की डीपीआर तैयार की गई थी, जिसमें समझौते के अनुसार 61़.74 प्रतिशत के हिसाब से 88 करोड़ रुपए की राशि पंजाब सरकार द्वारा व्यय की जानी थी, परंतु पंजाब सरकार द्वारा निर्धारित राशि को जारी करने में किए गए विलंब के कारण परियोजना का कार्य धीमी गति से चलता रहा और निर्माण सामग्री, मशीनरी एवं श्रम इत्यादि की दरों में काफी बढ़ोतरी होने से यह कार्य पूर्ण नहीं हो सका। विभागीय प्रवक्ता के अनुसार शाहनहर परियोजना की कुल लंबाई 71 किलोमीटर है, जिसमें ब्यास नदी के बाईं ओर क्षेत्र से 26 किलोमीटर तथा दाईं ओर नहर की लंबाई 45 किलोमीटर नहर का निर्माण किया गया, जिसमें नहर के बाईं ओर 136 क्यूसिक जबकि दाईं ओर 228 क्यूसिक पानी उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की गई है ताकि दोनों तरफ की 15287 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सके। इस परियोजना के तहत कुल 44 नलकूप निर्मित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त अब कमांड एरिया विकास योजना के अंतर्गत 68 करोड़ रुपए की राशि से किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए कूहलों एवं छोटी नहरों का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर करवाया जा रहा है, जिसमें अब तक 20 करोड़ रुपए की राशि व्यय की जा चुकी है।







source: DivyaHimachal

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