सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के क्लर्क मायूस


शिमला — पूर्व सरकार द्वारा निदेशालय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, एक छोटा विभाग होने के बावजूद भी विभाजन करके दो निदेशालय अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक मामले तथा महिला एवं बाल विकास का सृजन किया गया। पूर्व सरकार द्वारा यह विभाजन विभागीय संघों के विश्वास में लिए गए बगौर किया गया है। इस विभाजन से लिपिकीय संयुक्त वर्ग के हितों की अनदेखी हुई है। इससे लिपिकीय संयुक्त वर्ग को जो एक दूसरे कार्यालय, शाखा में अपने विकल्प के आधार पर समायोजन, स्थानांतरण का लाथ मिलता था। उस से भी अब यह वर्ग वंचित रह गया है। अभी तक लिपिकीय वर्ग की वरिष्ठता सूची तथा भर्ती एवं पदोन्नति नियम भी इकट्ठे हैं, और पदोन्नति आधार पर स्थानांतरण भी हो रहे हैं। विभाजन के दौरान पूर्व सरकार द्वारा दोनों निदेशालय में उक्त वर्ग के कर्मचारियों की अस्थायी तैनाती उनके कार्य, सीटों के आधार पर ही की गई है, जबकि नियमानुसार उनसे लिए गए विल्पक के आधार पर समायोजन किया जाना था। प्रदेश सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ निदेशालय इकाई मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री हिमाचल प्रदेश डा. धनीराम शांडिल से मांग की कि एक ही विभाग के अंतर्गत लिपिकीय संयुक्त वर्ग को शिक्षा विभाग की तर्ज पर एक से दूसरे निदेशालय के अंतर्गत स्थानांतरण की सुविधा प्रदान की जाए।







source: DivyaHimachal

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