परवाणू — प्रदेश की सीमावर्ती पंचायत प्राथा में ग्रामीणों ने पंचायत के प्रतिनिधियों पर मनमर्जी से आईआरडीपी लिस्ट तैयार किए जाने के आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों ने अपने आरोपों में कहा है कि क्षेत्र के सरकारी नौकरीपेशा लोगों के परिवार को भी ग्रामसभा की बैठक में आईआरडीपी में शामिल किया गया है, जबकि सरकार की इस सुविधा के लिए पात्र लोगों को आईआरडीपी की श्रेणी से बाहर किया गया है। देश की इस मिनी संसद में सात अप्रैल की ग्रामसभा में हुए इस निर्णय का विरोध के बावजूद पंचायत द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग किए जाने के आरोप लगाए गए हैं। इस संबंध में ग्रामीण जानकी देवी, प्रकाश चंद, लेखराम, रोशन लाल, भागी राम व वेद प्रकाश ने कहा कि पंचायत के प्राथा वार्ड से पूर्व में आईआरडीपी से संबंध रखने वाले सभी 14 लोगों को सुविधा से वंजित किया गया है। ग्रामीणों ने कहा कि ग्रामसभा में उनकी सुनवाई न होने के चलते जिला प्रशासन ही उनकी सुनवाई करे। पंचायत में आईआरडीपी की सुविधाओं को लेकर अधिकारों के दुरुपयोग की प्रशासनिक जांच की जाए। इससे पंचायत के पात्र लोगों को सरकार की इस सुविधा का लाभ मिल सके। इस संबंध में पंचायत प्रधान रीना देवी ने कहा कि ग्रामसभा में बहुमत के साथ आईआरडीपी में नए नाम सम्मिलित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर ग्रामीणों को इस सूची से किसी तरह की आपत्ति है तो इस पर पुनः विचार किया जा सकता है। श्रमिक कल्याण बोर्ड चेयरमैन बावा हरदीप को ग्रामीणों द्वारा सौंपे इस ज्ञापन पर संज्ञान लेते हुए उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों से मामले में जांच करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि सरकारी सुविधाओं का अनुचित लाभ किसी भी व्यक्ति को नहीं लेने दिया जाएगा।
source: DivyaHimachal
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