जानवर की जरूरत देख बनाएं पिंजरे


श्री रेणुकाजी — प्रदेश की पहली बड़ी लायन सफारी व वन्य प्राणी संरक्षण स्थल में वन्य प्राणियों का ख्याल व रखरखाव उचित तरीके से किया जाए एवं पर्यटकों के लिए वन्य प्राणी पिंजरों से अलग रास्तों का निर्माण किया जाए। तेंदुआ, भालू, हिरण, धोरल आदि के पिंजरों को उचित मापदंड से तैयार किया जाए। यह निर्देश बुधवार को केंद्रीय जू प्राधिकरण के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं सदस्य सचिव सी एंड जेड एएके मल्होत्रा ने वन्य प्राणी विभाग को निरीक्षण दौरे के दौरान दिए। वर्ष 2016 के बाद तीन वर्ष के बाद हो रहे सी एंड जेड एके जू निरीक्षण के दौरान सदस्य सचिव ने 20 सूत्री मार्गदर्शन बिदुंओं पर अमल करने पर वन्य प्राणी विभाग के प्रति संतुष्टि दिखाई। डीएफओ रमन शर्मा ने बताया कि वन्य प्राणी विभाग ने सी एंड जेड ए द्वारा दी गई गाइड लाइंस का 90 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है। वहीं अब सी एंड जेढ ने वन्य प्राणी संरक्षण स्थल में पर्यटकों के लिए अलग रास्ता निर्माण व भालू का क्षेत्रफल बढ़ाने का निर्देश दिया है। वहीं भालू के लिए ब्रीडिंग के लिए गुफा का निर्माण करने के भी निर्देश दिए हैं। प्रदेश की पहली लॉयन सफारी में मात्र दो शेरों को लेकर पूछे गए सवाल में सदस्य सचिव व वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री मल्होत्रा ने कहा है कि शेरों के डीएनए टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल, हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे, जिसमें उनकी प्रजाति की वैज्ञानिक पहचान भी होगी वहीं ब्रीडिंग के लिए भी टेस्ट रिपोर्ट से ही पता चल पाएगा, जिसमें लगभग दो माह का समय लगेगा। वन्य प्राणी विभाग ने यहां कर्नाटक एवं गुजरात से शेर लाने की बात कही है। मगर प्रक्रिया के चलते अब मात्र रेणुका जू में बचे दो शेर-शेरनियों से ही टेस्ट रिपोर्ट के बाद ब्रीडिंग से शेरों की संख्या बढ़ाने का विचार है। सी एंड जेडए सीधे तौर पर शेर भेजने में मनाही कर रहा है। वहीं वन्य प्राणी क्षेत्र में विस्तृत मास्टर प्लान के जरिए जू के विकास में अभी भी रूकावटें आ रही हैं। सी एंड जेडए ने 11 करोड़ के विस्तृत मास्टर प्लान के ले आउट पर कुछ आपत्ति दर्शाकर दोबारा से वन्य प्राणी विभाग को भेजा है। उन्होंने हालांकि चोर शेरों के इकट्ठे रहने के लिए 1500 वर्ग मीटर का क्षेत्रफल यहां पर उपयुक्त बताया है। सदस्य सचिव ने रेणुका स्थित वन्य प्राणियों को प्राकृतिक रूप में ही ख्याल रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विस्तृत मास्टर प्लान में हिरण के लिए 150 वर्ग मीटर पक्षियों के लिए 80 वर्गमीटर, तेंदुओं के लिए 500 वर्गमीटर व भालू के लिए 1500 वर्गमीटर के पिंजरे तैयार करने के सुझाव व निर्देश दिए हैं। इस दौरान उनके साथ वन्य प्राणी विभाग के डीएफओ रमन शर्मा, आरओ शोभाराम व विभागीय कर्मचारी भी मौजूद रहे।







source: DivyaHimachal

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