चार साल से मुआवजे के लिए इंतजार


संगड़ाह — गिरि नदी पर दिल्ली को पेयजल योजना के जल भंडारण टैंक के रूप में बनने वाले 28 किलोमीटर लंबे रेणुका बांध से डूबने वाले 34 में से करीब 28 गांव के विस्थापितों को पिछले चार वर्षों से उनकी पैतृक संपत्ति व जमीन का मुआवजा न मिलने से विस्थापितों में रोष है। डूब क्षेत्र में 2009 में सेक्शन नौ लागू होने से गांव हालांकि विस्थापित अपनी जमीन अथवा पैतृक संपत्ति से मालिकाना हक खो चुके हैं, मगर बांध प्रबंधन अथवा प्रदेश सरकार द्वारा अब तक न तो मुआवजा दिया गया और न ही पुनर्वास की व्यवस्था की गई। बांध से डूबने वाले लगनू, मोहलू, ढाल, जांईचा, मलाहन, नडेल, चांबी भल्टा, अणु, खुरकना, चलोगा व अटू आदि 28 के करीब गांवों को पिछले चार वर्षों से मुआवजा नहीं मिला है। बांध प्रबंधन द्वारा अब तक केवल सीऊं, डुंगी, पनार, उगंर, मशूर व मछेर गांव के ग्रामीणों को करीब 114 करोड़ की मुआवजा राशि जारी की गई तथा किसी भी गांव के पुनर्वास को जमीन उपलब्ध नहीं करवाई गई। 2100 हेक्टेयर भूमि, 1140 परिवारों के घर-बार, छह किलोमीटर संगड़ाह-रेणुकाजी मार्ग व लाखों पेड़-पौधे निगल जाने वाले इस बांध से उपमंडल संगड़ाह की सभी 41 पंचायतें प्रभावित होंगी तथा डूबने वाली सड़क के वैकल्पिक मार्ग को भी बजट व जमीन उपलब्ध नहीं है। 2009 में डूब क्षेत्र में आवश्यक भू-अधिग्रहण अधिनियम लागू होने के बाद जहां 34 गांव में मनरेगा व अन्य रोजगार संबंधी कार्य बंद हैं। बांध विस्थापितों द्वारा गठित बांध जन संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगिंद्र कपिला, आजीविका बचाओ सिमति के डीआर शर्मा व विस्थापित सहयोग समिति के अध्यक्ष मोहन लाल आजाद ने चार वर्षों से विस्थापितों के उत्पीड़न के लिए बांध प्रबंधन के प्रति रोष जताया। विस्थापितों द्वारा गठित संगठनों के उक्त पदाधिकारियों ने कहा कि फोरेस्ट क्लीयरेंस मिलने से पूर्व 2009 में डूब क्षेत्र में सेक्शन-नौ लागू कर व मुआवजे तथा पुनर्वास की व्यवस्था न कर बांध प्रबंधन ने 1142 परिवारों के मानव अधिकारियों पर आघात किया। रेणुका जी बांध के महाप्रबंधक वीके कौशल ने कहा कि सीऊं, डुंगी, पनार, उगंर व मशूर आदि गांव के विस्थापितों को मुआवजा जारी हो चुका है। उन्होंने कहा कि केंद्र से मांगी गई करीब 1981 करोड़ की राशि जिसमें से करीब 891 करोड़ स्थिपितों पर खर्च होगी, को स्वीकृति मिलना शेष है। उन्होंने कहा कि बजट मिलते ही शेष गांवों को मुआवजा जारी होगा।







source: DivyaHimachal

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